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जाति, धर्म और लैंगिक मसले

Question
CBSEHHISSH10018608

दो कारण बताएँ की क्यों सिर्फ़ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते।

Solution

चुनावों में जातिगत भावनाओं का प्रभाव अवश्य पड़ता हैं। परन्तु सिर्फ़ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते। इसके दो कारण निम्नलिखित है:
(i) देश के किसी भी एक संसदीय चुनाव क्षेत्र में किसी एक जाती के लोगों का बहुमत नहीं हैं इसलिए प्रत्येक पार्टी ओर उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए एक जाती तथा एक समुदाय से ज़्यादा लोगों का भरोसा हासिल करना पड़ता हैं।
(ii) यदि किसी चुनाव क्षेत्र में एक जाती के लोगों का प्रभुत्व माना जा रहा हो तो अनेक पार्टियों को उसी जाती का उम्मीदवार खड़ा करने से कोई रोक नहीं सकता। ऐसे में कुछ मतदाताओं के सामने उनकी जाती के दो से अधिक प्रत्याशी खड़े होते हैं तो ऐसे में उस जाती का प्रभाव जाता रहता है।


Some More Questions From जाति, धर्म और लैंगिक मसले Chapter

सांप्रदायिक राजनीति के अर्थ संबंधी निम्नलिखित कथनों पर गौर करें। सांप्रदायिक राजनीति इस धारणा पर आधारित है कि:
(अ) एक धर्म दूसरों से श्रेष्ठ है।
(ब) विभिन्न धर्मों के लोग समान नागरिक के रूप में खुशी-खुशी साथ रह सकते हैं।
(स) एक धर्म के अनुयायी एक समुदाय बनाते हैं।
(द) एक धार्मिक समूह का प्रभुत्व बाकी सभी धर्मों पर कायम करने में शासन की शक्ति का प्रयोग नहीं किया जा सकता।
इनमें से कौन या कौन-कौन सा कथन सही है?

भारतीय संविधान के बारे में इनमें से कौन सा कथन गलत है?

............... पर आधारित सामाजिक विभाजन सिर्फ़ भारत में ही है।

सूची I और सूची II का मेल कराएँ और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही जवाब खोजें।

  सूची I सूची II
1. अधिकारों और अवसरों के मामले में स्री और पुरुष की बराबरी मानने वाला व्यक्ति (क)सांप्रदायिक
2. धर्म को समुदाय का मुख्य आधार मानने वाला व्यक्ति (ख) नारीवादी
3. जाति को समुदाय का मुख्य आधार मानने वाले व्यक्ति (ग) धर्मनिरपेक्ष
4. व्यक्तियों के बीच धार्मिक आस्था के आधार पर भेदभाव न करने वाला व्यक्ति (घ) जातिवादी

 

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(सा)
(रे)
(गा)
(मा)