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लोकतंत्र और विविधता

Question
CBSEHHISSH10018600

सामाजिक विभाजनों को सँभालने के संदर्भ में इनमें से कौन- सा बयान लोकतांत्रिक व्यवस्था पर लागू नहीं होता?

  • लोकतंत्र में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते सामाजिक विभाजनों की छाया राजनीति पर पर पड़ती है।

  • लोकतंत्र में विभिन्न समुदायों के लिए शांतिपूर्ण ढंग से अपनी शिकायतें जाहिर करना संभव है।
  • लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों को हल करने का सबसे अच्छा तरीका है।

  • लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों के आधार पर समाज को विखंडन की ओर ले जाता है।

Solution

D.

लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों के आधार पर समाज को विखंडन की ओर ले जाता है।

Some More Questions From लोकतंत्र और विविधता Chapter

सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणाम तय करने वाले तीन कारकों की चर्चा करें।

समाजिक अंतर कब और कैसे सामाजिक विभाजनों का रुप ले लेते हैं?

सामाजिक विभाजन किस तरह से राजनीती को प्रभावित करते हैं? दो उदाहरण भी दीजिए।

...............सामाजिक अंतर गहरे सामाजिक विभाजन और तनावों की स्थिति पैदा करते हैं। ..............सामाजिक अंतर सामान्य तौर पर टकराव की स्थिति तक नहीं जाते।

सामाजिक विभाजनों को सँभालने के संदर्भ में इनमें से कौन- सा बयान लोकतांत्रिक व्यवस्था पर लागू नहीं होता?

निम्नलिखित तीन बयानों पर विचार करें:
(अ) जहाँ सामाजिक अंतर एक-दूसरे से टकराते हैं वहाँ सामाजिक विभाजन होता है।
(ब) यह संभव है कि एक व्यक्ति की कोई पहचान हो।
(स) सिर्फ़ भारत जैसे बड़े देशों में ही सामाजिक विभाजन होते हैं।
इन बयानों में से कौन-कौन से बयान सही हैं।

निम्नलिखित बयानों को तार्किक क्रम से लगाएँ और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही जवाब ढूँढ़े।
(अ) सामाजिक विभाजन की सारी राजनीतिक अभिव्यक्तियाँ खतरनाक ही हों यह ज़रूरी नहीं है।
(ब) हर देश में किसी न किसी तरह से सामाजिक विभाजन रहते ही है।
(स) राजनीतिक दल विभाजनों के आधार पर राजनितिक समर्थन जुटाने का प्रयास करते हैं।
(द) कुछ सामाजिक अंतर सामाजिक विभाजनों का रूप ले सकते हैं।

निम्नलिखित में किस देश को धार्मिक और जातीय पहचान के आधार पर विखंडन का सामना करना पड़ा?

मार्टिन लूथर किंग जूनियर के 1963 के प्रसिद्ध भाषण के निम्नलिखित अंश को पढ़े। वे किस सामाजिक विभाजन की बात कर रहे हैं? उनकी उम्मीदें और आशंकाएँ क्या-क्या थी? क्या आप उनके बयान और मैक्सिको ओलंपिक की उस घटना में कोई संबंध देखते हैं जिसका जिक्र इस अध्याय में था?
'मेरा एक सपना है कि मेरे चार नन्हें बच्चे एक दिन ऐसे मुल्क में रहेंगे जहाँ उन्हें चमड़ी के रंग के आधार पर नहीं, बल्कि उनके चरित्र के असल गुणों के आधार पर परखा जाएगा। स्वतंत्रता को उसके असली रूप में आने दीजिए। स्वतंत्रता तभी कैद से बहार आ पाएगी जब यह हर बस्ती, हर गाँव तक पहुँचेगी, हर राज्य और हर शहर में होगी और हम उस दिन को ला पाएँगे। जब ईश्‍वर की सारी संतानें- अश्‍वेत स्त्री पुरुष, गोरे लोग, यहूदी तथा गैर-यहूदी, प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक-हाथ में हाथ डालेंगी और इस पुरानी नीग्रो प्रार्थना को गाएँगी - 'मिली आज़ादी, मिली आज़ादी! प्रभु बलिहारी, मिली आज़ादी!' मेरा एक सपना है कि यह देश उठ खड़ा होगा और अपने वास्तविक स्वभाव के अनुरूप कहेगा, 'हम इस स्पष्ट सत्य को मानते हैं कि सभी लोग सामान है।'

लोकतंत्र को बेहतर बनाने वाले किन्हीं तीन मूल्यों का विश्लेषण कीजिए।