मार्टिन लूथर किंग जूनियर के 1963 के प्रसिद्ध भाषण के निम्नलिखित अंश को पढ़े। वे किस सामाजिक विभाजन की बात कर रहे हैं? उनकी उम्मीदें और आशंकाएँ क्या-क्या थी? क्या आप उनके बयान और मैक्सिको ओलंपिक की उस घटना में कोई संबंध देखते हैं जिसका जिक्र इस अध्याय में था?
'मेरा एक सपना है कि मेरे चार नन्हें बच्चे एक दिन ऐसे मुल्क में रहेंगे जहाँ उन्हें चमड़ी के रंग के आधार पर नहीं, बल्कि उनके चरित्र के असल गुणों के आधार पर परखा जाएगा। स्वतंत्रता को उसके असली रूप में आने दीजिए। स्वतंत्रता तभी कैद से बहार आ पाएगी जब यह हर बस्ती, हर गाँव तक पहुँचेगी, हर राज्य और हर शहर में होगी और हम उस दिन को ला पाएँगे। जब ईश्वर की सारी संतानें- अश्वेत स्त्री पुरुष, गोरे लोग, यहूदी तथा गैर-यहूदी, प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक-हाथ में हाथ डालेंगी और इस पुरानी नीग्रो प्रार्थना को गाएँगी - 'मिली आज़ादी, मिली आज़ादी! प्रभु बलिहारी, मिली आज़ादी!' मेरा एक सपना है कि यह देश उठ खड़ा होगा और अपने वास्तविक स्वभाव के अनुरूप कहेगा, 'हम इस स्पष्ट सत्य को मानते हैं कि सभी लोग सामान है।'
(i) मार्टिन लूथर किंग जूनियर इस अनुच्छेद में रंग भेद और जाति प्रथा द्वारा समाज के बँटवारे की बात कर रहे है।
(ii) वे एक ऐसे देश का सपना देख रहे है जहाँ सबके साथ समानता का व्यवहार हो। जहाँ रंग के आधार पर भेदभाव न हो। उनकी आशंकाएँ और चिंताए ये है कि उन्होने अपने चार नन्हें बच्चों के लिए एक ऐसे राष्ट्र का सपना देखा है, जहाँ लोगो को उनके रंग के आधार पर नहीं बल्कि उनके चरित्र के गुणों के आधार पर परखा जायेगा।
(iii) हाँ उनका भाषण चमड़ी के रंग को लेकर बनाये गए विभाजन को दर्शाता है क्योंकि ऐसा ही काले, एफ्रो-अमेरिकन खिलाडियों द्वारा मैक्सिको ओलंपिक के दौरान प्रदर्शित किया था। अतः दोनों में स्पष्ट सम्बन्ध दिखता है।