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जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड
जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड
13 अप्रैल, 1919
आज मुझे अपने शहर में घटित हुई एक दर्दनाक हत्याकांड के बारे में आपको बताते हुए बहुत दु:ख हो रहा है आज हमारे शहर में बहुत से गाँव वाले वार्षिक बैसाखी मेले में शामिल होने के लिए जालियाँवाला बाग में जमा हुए थे।अधिकतर तो सरकार द्वारा लागू किए गए दमनकारी कानून का विरोध प्रकट करने के लिए एकत्रित हुए। यह बाग चारों तरफ से बंद है। शहर से बाहर होने के कारण वहाँ जुटे लोगों को यह पता नहीं था कि इलाके में मार्शल लॉ लागू किया जा चुका है। जनरल डायर हथियारबंद सैनिकों के साथ वहाँ पहुंचा और जाते ही उसने मैदान से बाहर निकलने के सभी रास्तों को बंद कर दिया। इसके बाद उसके सिपाहियों ने भीड़ पर अंधाधुंध गोलियाँ चला दीं। सैकड़ों लोग मारे गए। बाद में उसने बताया कि वह सत्यग्रहिओं की ज़हन में दहशत और विस्मय का भाव पैदा करके 'एक नैतिक प्रभाव' उत्पन्न करना चाहता था।
मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि आप इस समाचार को अपने समाचार पत्र में प्रमुखता से छापकर भारतीय जनता के दुख में भागीदार बनें और निर्दयी गोरी सरकार के दमन के खिलाफ विश्व जनमत तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँ।
राहुल कुमार



