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प्रवास के सामाजिक जनांकिकीय परिणाम क्या-क्या हैं?
प्रवास के सामाजिक एवं जनांकिकीय परिणाम निम्नलिखित हैं:
- सामाजिक परिणाम: प्रवासी लोग सामाजिक परिवर्तन के अच्छे माध्यम होते हैं, क्योंकि वे नवीन प्रौद्योगिकियों, परिवार नियोजन, बालिका शिक्षा इत्यादि के संबंध में नए विचारों का प्रसार करते हैं। प्रवास से विविध संस्कृतियों के लोगों का अंतर्मिश्रण होता है। इसके द्वारा संकीर्ण विचारों को दूर करने में सहयोग मिलता हैं तथा नए विचारों के विकास में सकारात्मकता आती हैं और यह अधिकतर लोगों के मानसिक क्षितिज को भी विस्तृत करता है।
- जनांकिकीय परिणाम: प्रवास से देश के अंदर जनसंख्या का पुनर्वितरण होता है। इससे जनांकिकीय असंतुलन पैदा हो जाता हैं। नगरीय जनसंख्या में वृद्धि का मुख्य कारण ग्रामीण-नगरीय प्रवास हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले युवा आयु, कुशल एवं दक्ष लोगों का बाह्य प्रवास ग्रामीण जनांकिकीय संघटन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। उदहारणतया उत्तरांचल, राजस्थान, मध्य प्रदेश और पूर्वी महाराष्ट्र से होने वाले बाह्य प्रवास ने इन राज्यों की आयु एवं लिंग संरचना में गंभीर असंतुलन पैदा कर दिया है। ऐसे ही असंतुलन उन राज्यों में भी उत्पन्न हो गए हैं जिनमें ये प्रवासी जाते हैं।