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भारत में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के कारणों की विवेचना कीजिए।
जब किसी देश का निवासी, अन्य किसी देश में प्रवासित हो जाता है तो उसे अंतर्राष्ट्रीय प्रवास कहते हैं। भारत में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के दो स्तर हैं- (i) उत्प्रवास-भारत से बाह्य देशों की ओर प्रवास, (ii) आप्रवास-बाह्य देशों से भारत की ओर प्रवास।
भारत में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
- भारत से बहुत बड़ी संख्या में लोगों ने बेहतर अवसरों की तलाश में विभिन्न स्थानों विशेष रूप से मध्य पूर्व और पश्चिमी यूरोप के देशों अमेरिका, आस्ट्रेलिया और पूर्वी प्रवास और दक्षिण-पूर्वी एशिया में प्रवास किया।
- अंतरराष्ट्रीय प्रवास के मुख्य कारणों में आजीविका के लिए विवाह, शिक्षा, आर्थिक रूप से सुदृढ़ता इत्यादि है। अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों द्वारा भेजी गई हुंडियाँ विदेशी विनिमय के प्रमुख स्त्रोत्रों में से एक है।
- सन् 2002 में भारत ने अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों से हुंडियों के रूप में 110 खराब अमेरिकी डॉलर प्राप्त किए। पंजाब, केरल और तमिलनाडु राज्य अपने अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों से महत्त्वपूर्ण राशि प्राप्त करते हैं। इनका प्रयोग मुख्यत: भोजन, ऋणों की अदायगी, उपचार, विवाहों, बच्चों की शिक्षा, कृषीय निवेश, गृह-निर्माण इत्यादि के लिए किया जाता है। ये हुण्डियां गावों की अर्थव्यवस्था के लिए जीवनदायक रक्त का कार्य करती है।
- विदेशों के प्रति सामान्य जनता का आकर्षण भी अंतरराष्ट्रीय प्रवास का एक मुख्य कारण है। लोगों में अधिक अवसरों और बेहतर सुरक्षा वाले स्थानों की ओर जाने की प्रवृत्ति अंतरराष्ट्रीय प्रवास को बढ़ावा देती है।
- उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी लोग अंतरराष्ट्रीय प्रवास करते हैं। इतना ही नहीं उच्चतर शिक्षा के पश्चात अच्छे वेतन और अच्छे 'लाइफ स्टाइल' के लिए भी लोग अंतर्राष्ट्रीय प्रवास की और अग्रसर होते हैं।