निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें:
विभिन्न प्रकार की ग्रामीण बस्तियों के लक्षणों की विवेचना कीजिए। विभिन्न भौतिक पर्यावरणों में बस्तियों के प्रारूपों के लिए उत्तरदायी कारक कौन-से हैं?
ग्रामीण बस्तियों के विभिन्न प्रकारों से उसके लक्ष्ण का बोध होता है, इसको मुख्यत: चार प्रकारों में रखा जा सकता है:
- गुच्छित, संकुलित अथवा आकेंद्रित
- अर्ध-गुच्छित अथवा विखंडित
- पल्लीकृत और
- परिक्षिप्त अथवा एकाकी
- गुच्छित, संकुलित अथवा आकेंद्रित: गुच्छित ग्रामीण बस्ती घरों का एक संहत अथवा संकुलित रूप से निर्मित क्षेत्र होता है। इस प्रकार के गाँव में रहन-सहन का सामान्य क्षेत्र स्पष्ट और चारों ओर फैले खेतों, खलिहानों और चरागाहों से पृथक होता है।
- अर्ध-गुच्छित अथवा विखंडित:अधिकतर ऐसा प्रारूप किसी बड़े संहत गाँव के संपृथकन अथवा विखंडन के परिणामस्वरूप भी उत्पन्न हो सकता है।
- पल्लीकृत: कई बार बस्ती भौतिक रूप से एक-दूसरे से पृथक अनेक इकाइयों में बँट जाती है किंतु उन सबका नाम एक रहता है। इन इकाइयों को देश के विभिन्न भागों में स्थानीय स्तर पर पान्ना, पाड़ा, पाली, नगला, ढाँणी इत्यादि कहा जाता है।
- परिक्षिप्त अथवा एकाकी: इस प्रकार की बस्ती में छोटे-छोटे हैमलेट एक बड़े क्षेत्र पर दूर-दूर बिखरे होते हैं। इसका कोई अभिन्यास नहीं होता, क्योंकि इन बस्तियों में केवल कुछ ही घर होते हैं। सामान्यत: ये बस्तियाँ सुदूर वनों में एकाकी झोंपड़ी या कुछ झोंपड़ियों के समूह के रूप में पाई जाती हैं। ऐसी बस्तियाँ छोटी पहाड़ियों पर भी होती हैं, जिनके आस-पास के ढालों पर खेत या चरागाह होते हैं।
बस्तियों के प्रारूपों को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक निम्नलिखित हैं:
- भौतिक लक्षण: भू-भाग की प्रकृति, ऊँचाई, जलवायु और जल की उपलब्धता।
- सांस्कृतिक और मानवजातीय कारक: सामाजिक संरचना, जाति और धर्म।
- सुरक्षा संबंधी कारक: चोरियों और डकैतियों से सुरक्षा करते हैं।