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हजारी प्रसाद द्विवेदी

Question
CBSEENHN12026789

शिरीष के फूलों की कोमलता देखकर परवर्ती कवियों ने समझा कि उसका सब-कुछ कोमल है। यह भूल है। इसके फल इतने मजबूत हाेते हैं कि नए फूलों के निकल आने पर भी स्थान नहीं छोड़ते। जब तक नए फल-पत्ते मिलकर, धकियाकर उन्हें बाहर नहीं कर देते तब तक वे डटे रहते हैं। वसंत के आगमन के समय जब सारी वनस्थली पुष्य-पत्र से मर्मरित होती रहती है, शिरीष के पुराने फल बुरी तरह खड़खड़ाते रहते हैं। मुझे इनको देखकर उन नेताओं की बात याद आती है, जो किसी प्रकार जमाने का रुख नहीं पहचानते और जब तक नई पौध के लोग उन्हें धक्का मारकर निकाल नहीं देते तब तक जमे रहते हैं।

  • किसे आधार मान कर बाद के कवियों को ‘परवर्ती‘ कहा गया है? उनकी समझ में क्या भूल थी?
  • शिरीष के फूलों और फलों के स्वभाव में क्या अतंर है?
  • शिरीष के फलों और आधुनिक नेताओं के स्वभाव में लेखक को क्या साम्य दिखाई पड़ता है?
  • लेखक के निष्कर्ष के पक्ष या विपक्ष मैं दो तर्क दीजिए।

Solution
  • परवर्ती कवि बाद के कवियों को कहा गया है। इन कवियों ने शिरीष के फूलों की कोमलता देखी थी और यह समझ बैठे थे कि इस वृक्ष के सारे अंग कोमल हैं। यह समझना उनकी भूल थी। इसके फल इतने मजबूत होते हैं कि नए फलों के निकल आने पर भी अपना स्थान नहीं छोड़ते। जब तक उन्हें धकियाकर बाहर नहीं कर दिया जाता तब तक वे डटे रहते हैं।
  • शिरीष के फूल अत्यंत कोमल होते हैं। इसके विपरीत फलों का स्वभाव अत्यंत कठोर होता है। फल मजबूती से टिके रहते हैं। उन्हें नए फल-पत्ते धकियाकर निकालते हैं।
  • शिरीष के फलों और आधुनिक नेताओं के स्वभाव में हमें यह साम्य दिखाई पड़ता है कि आधुनिक नेता भी मजबूती के साथ अपने स्थान पर टिके रहते हैं। वे अपना स्थान नहीं छोड़ते। जब नई पीढ़ी उन्हें धकियाकर निकालती है तभी वे अपने स्थान से हटते हैं।
  • लेखक के निष्कर्ष के पक्ष में ये तर्क दिए जा सकते हैं: (i) व्यक्ति को कोमलता एवं कठोरता दोनों गुणों को अपनाना चाहिए। हृदय-मन कोमल तथा इस कोमलता की रक्षा के लिए कठोरता का व्यवहार जरूरी है। ऐसा ही शिरीष का स्वभाव होता है। (ii) पुरानी पीढ़ी के नेताओं को हटाने के लिए नई पीढ़ी को आगे आना ही होगा अन्यथा परिवर्तन नहीं आ पाएगा।

Some More Questions From हजारी प्रसाद द्विवेदी Chapter

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
इस चिलकती धूप में इतनइतना-इतनास वह कैसे बना रहता है? क्या ये बाह्य परिवर्तन-धूप, वर्षा, अंधी, लू-अपने आपमें सत्य नहीं हैं? हमारे देश के ऊपर से जो यह मार-काट, अग्निदाह, लूट-पाट, खून-खच्चर का बवंडर बह गया है, उसके भीतर भी क्या स्थिर रहा जा सकता है? शिरीष रह सका है। अपने देश का एक बढ़ाबूढ़ा सका था। क्यों मेरा मन पूछता है कि ऐसा क्यों संभव हुआ? क्योंकि शिरीष भी अवधूत है। शिरीष वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और इतना कठोर है। गांधी भी वायुमंडल से रस खीचकर इतना कोमल और इतना कठोर हो सका था। मैं जब-जब शिरीष की ओर देखता हूं, तब-तब क्य उठती है-हाय, वह अवधूत आज कहाँ है!

1. शिरीष की तुलना अवधूत से क्यों की गई है?
2. ‘देश का एक बूढ़ा‘ का सकेत किसकी ओर है? वह कैसी स्थितियों में स्थिर रह सका था?
3. शिरीष को जब-तब देखकर लेखक के मन में हूक क्यों उठती है?
4. गद्याशं के आधार पर शिरीष वृक्ष के स्वभाव पर टिप्पणी कीजिए।







शिरीष के फूलों की कोमलता देखकर परवर्ती कवियों ने समझा कि उसका सब-कुछ कोमल है। यह भूल है। इसके फल इतने मजबूत हाेते हैं कि नए फूलों के निकल आने पर भी स्थान नहीं छोड़ते। जब तक नए फल-पत्ते मिलकर, धकियाकर उन्हें बाहर नहीं कर देते तब तक वे डटे रहते हैं। वसंत के आगमन के समय जब सारी वनस्थली पुष्य-पत्र से मर्मरित होती रहती है, शिरीष के पुराने फल बुरी तरह खड़खड़ाते रहते हैं। मुझे इनको देखकर उन नेताओं की बात याद आती है, जो किसी प्रकार जमाने का रुख नहीं पहचानते और जब तक नई पौध के लोग उन्हें धक्का मारकर निकाल नहीं देते तब तक जमे रहते हैं।

शिरीष के फूलों की कोमलता देखकर परवर्ती कवियों ने समझा कि उसका सब-कुछ कोमल है। यह भूल है। इसके फल इतने मजबूत हाेते हैं कि नए फूलों के निकल आने पर भी स्थान नहीं छोड़ते। जब तक नए फल-पत्ते मिलकर, धकियाकर उन्हें बाहर नहीं कर देते तब तक वे डटे रहते हैं। वसंत के आगमन के समय जब सारी वनस्थली पुष्य-पत्र से मर्मरित होती रहती है, शिरीष के पुराने फल बुरी तरह खड़खड़ाते रहते हैं। मुझे इनको देखकर उन नेताओं की बात याद आती है, जो किसी प्रकार जमाने का रुख नहीं पहचानते और जब तक नई पौध के लोग उन्हें धक्का मारकर निकाल नहीं देते तब तक जमे रहते हैं।

  • किसे आधार मान कर बाद के कवियों को ‘परवर्ती‘ कहा गया है? उनकी समझ में क्या भूल थी?
  • शिरीष के फूलों और फलों के स्वभाव में क्या अतंर है?
  • शिरीष के फलों और आधुनिक नेताओं के स्वभाव में लेखक को क्या साम्य दिखाई पड़ता है?
  • लेखक के निष्कर्ष के पक्ष या विपक्ष मैं दो तर्क दीजिए।

लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत (संन्यासी) की तरह क्यों माना है?

हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार की कठोरता भी कभी-कभी जरूरी भी हो जाती है-प्रस्तुत पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।

द्विवेदी जी ने शिरीष के माध्यम से कोलाहल व संघर्ष से भरी जीवन-स्थितियों में अविचल रह कर जिजीविषु बने रहने की सीख दी है। स्पष्ट करें।

हाय वह अवधूत आज कहाँ है। ऐसा कहकर लेखक ने आत्मबल पर देह-बल के वर्चस्व की वर्तमान सभ्यता के संकट की ओर संकेत किया है। कैसे?

कवि (साहित्यकार) के लिए अनासक्त योगी की स्थिरप्रज्ञता और विदग्ध प्रेमी का हृदय-एक साथ आवश्यक है। ऐसा विचार प्रस्तुत कर लेखक ने साहित्य-कर्म के लिए बहुत ऊँचा मानदंड निर्धारित किया है। विस्तारपूर्वक समझाइये।

सर्वग्रासी काल की मार से बचते हुए वही दीर्धजीवी हो सकता है, जिसने अपने व्यवहार में जड़ता छोड़कर नित बदल रही स्थितियों में निरंतर अपनी गतिशीलता बनाए रखी है। पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।

आशय स्पष्ट कीजिए-

दुरत प्राणधारा और सर्वव्यापक कालाग्नि का सघंर्ष निरतंर चल रहा है। मूर्ख समझते हैं कि जहाँ बने हैं वहीं देर तक बने रहें तो कालदेवता की आँख बचा पाएँगे। भोले हैं वे। हिलते-डुलते रहो, स्थान बदलते रहो, आगे की और मुँह किए रहो तो कोड़े की मार से बच भी सकते हो। जमे कि मरे।