शिरीष के फूलों की कोमलता देखकर परवर्ती कवियों ने समझा कि उसका सब-कुछ कोमल है। यह भूल है। इसके फल इतने मजबूत हाेते हैं कि नए फूलों के निकल आने पर भी स्थान नहीं छोड़ते। जब तक नए फल-पत्ते मिलकर, धकियाकर उन्हें बाहर नहीं कर देते तब तक वे डटे रहते हैं। वसंत के आगमन के समय जब सारी वनस्थली पुष्य-पत्र से मर्मरित होती रहती है, शिरीष के पुराने फल बुरी तरह खड़खड़ाते रहते हैं। मुझे इनको देखकर उन नेताओं की बात याद आती है, जो किसी प्रकार जमाने का रुख नहीं पहचानते और जब तक नई पौध के लोग उन्हें धक्का मारकर निकाल नहीं देते तब तक जमे रहते हैं।
- किसे आधार मान कर बाद के कवियों को ‘परवर्ती‘ कहा गया है? उनकी समझ में क्या भूल थी?
- शिरीष के फूलों और फलों के स्वभाव में क्या अतंर है?
- शिरीष के फलों और आधुनिक नेताओं के स्वभाव में लेखक को क्या साम्य दिखाई पड़ता है?
- लेखक के निष्कर्ष के पक्ष या विपक्ष मैं दो तर्क दीजिए।
- परवर्ती कवि बाद के कवियों को कहा गया है। इन कवियों ने शिरीष के फूलों की कोमलता देखी थी और यह समझ बैठे थे कि इस वृक्ष के सारे अंग कोमल हैं। यह समझना उनकी भूल थी। इसके फल इतने मजबूत होते हैं कि नए फलों के निकल आने पर भी अपना स्थान नहीं छोड़ते। जब तक उन्हें धकियाकर बाहर नहीं कर दिया जाता तब तक वे डटे रहते हैं।
- शिरीष के फूल अत्यंत कोमल होते हैं। इसके विपरीत फलों का स्वभाव अत्यंत कठोर होता है। फल मजबूती से टिके रहते हैं। उन्हें नए फल-पत्ते धकियाकर निकालते हैं।
- शिरीष के फलों और आधुनिक नेताओं के स्वभाव में हमें यह साम्य दिखाई पड़ता है कि आधुनिक नेता भी मजबूती के साथ अपने स्थान पर टिके रहते हैं। वे अपना स्थान नहीं छोड़ते। जब नई पीढ़ी उन्हें धकियाकर निकालती है तभी वे अपने स्थान से हटते हैं।
- लेखक के निष्कर्ष के पक्ष में ये तर्क दिए जा सकते हैं: (i) व्यक्ति को कोमलता एवं कठोरता दोनों गुणों को अपनाना चाहिए। हृदय-मन कोमल तथा इस कोमलता की रक्षा के लिए कठोरता का व्यवहार जरूरी है। ऐसा ही शिरीष का स्वभाव होता है। (ii) पुरानी पीढ़ी के नेताओं को हटाने के लिए नई पीढ़ी को आगे आना ही होगा अन्यथा परिवर्तन नहीं आ पाएगा।