“ ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी के प्रारम्भ में चित्रित प्रकृति का स्वरूप कहानी की भयावहता की ओर संकेत करता है” -इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
कहानी के प्रारंभ में प्रकृति की भयावहता का चित्रण सफलतापूर्वक किया. गया है। लेखक रात के सुनसान वातावरण का चित्रण करते हुए बताता है कि उस समय सियारों का क्रंदन और पेचक की डरावनी आवाज कभी-कभी निस्तब्धता को भंग कर देती थी। गाँव की झोंपड़ियों से कराहने और कै करने की आवाज सुनाई पड़ रही थी। हे भगवान! हरे राम! की टेर सुन जाती थी। बच्चे माँ-माँ पुकारकर रो पडते थे, पर इससे रात्रि की निस्तब्धता में विशेष बाधा नही पड़ती थी।