जिस दिन लुट्टन पहलवान के दोनों बेटे मर गए तब उसने क्या किया?
जिस दिन लुट्टन के दोनों बेटे मर गए उस दिन पहलवान ने राजा श्यामानन्द की दी हुई रेशमी जांघिया पहन ली। सारे शरीर में मिट्टी मलकर थोड़ी कसरत की फिर दोनों पुत्रों को कंधों पर लादकर नदी में बहा आया। लोगों ने सुना तो दंग रह गए। कितनों की हिम्मत टूट गई।
किंतु, रात में फिर पहलवान की ढोलक की आवाज प्रतिदिन की भाँति सुनाई पड़ी। लोगों की हिम्मत दुगुनी बढ़ गई। संतप्त पिता-माताओं ने कहा-”दोनों पहलवान बेटे मर गए, पर पहलवान की हिम्मत तो देखो, डेढ़ हाथ का कलेजा है!”