कहानी के प्रारंभ में रात के वातावरण का चित्रण किस प्रकार किया गया है?
रात के सुनसान वातावरण का चित्रण करते हुए बताया गया है कि उस समय सियारों का क्रंदन और पेचक की डरावनी आवाज कभी-कभी निस्तब्धता को अवश्य भंग कर देती थी। गाँव को झोंपड़ियों से कराहने और कै करने की आवाज ‘हरे राम! हे भगवान!’ की टेर अवश्य सुनाई पड़ती थी। बच्चे भी कभी-कभी निर्बल कंठों से ‘माँ-माँ’ पुकारकर रो पड़ते थे पर इससे रात्रि की निस्तब्धता में विशेष बाधा नहीं पड़ती थी।