पाठ में अनेक अंश ऐसे हैं जो भाषा के विशिष्ट प्रयोगों की बानगी प्रस्तुत करते हैं। भाषा का विशिष्ट प्रयोग न सर्जनात्मकता केवल भाषागत सृजनात्मकता को बढ़ावा देता है बल्कि कथ्य को भी प्रभावी बनाता है। यदि उन शब्दों, वाक्यांशों के स्थान पर किन्हीं अन्य का प्रयोग किया जाए तो संभवत: वह अर्थगत चमत्कार और भाषिक सौंदर्य उद्घाटित न हो सके। कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं-
● फिर बाज़ की तरह उस पर टूट पड़ा।
● राजा साहब की स्नेह-दृष्टि ने उसकी प्रसिद्धि में चार चाँद लगा दिए।
● पहलवान की स्त्री भी दो पहलवानों को पैदा करके स्वर्ग सिधार गई थी।
इन विशिष्ट भाषा-प्रयोगों का प्रयोग करते हुए एक अनुच्छेद लिखिए।
दंगल के अंदर पहले तो थोड़ा झुका फिर बाज की तरह दूसरे पहलवान पर टूट पड़ा। उस पर राजा की कृपा-दृष्टि गई। राजा साहब की स्नेह-दृष्टि ने उसकी प्रसिद्धि में चार चाँद लगा दिए। उसे दरबार में स्थान मिल गया। उस पहलवान की स्त्री भी दो पहलवानों (पुत्रों) को पैदा कर स्वर्ग सिधार गई। वे दोनों पहलवान भी पुष्ट शरीर वाले थे।