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शमशेर बहादुर सिंह

Question
CBSEENHN12026232

अपने परिवेश के उपमानों का प्रयोग करते हुए सूर्योदय और सूर्यास्त का शब्दचित्र खींचिए।

Solution

सूर्योदय

लो पूर्व दिशा में उग आया

सूरज

लाल-लाल गोले के समान

चारों ओर लालिमा फैलती चली गई

और सभी प्राणी जड़ से चेतन

बन गए।

सूर्यास्त

सूरज हुक्के की चिलम जैसा लगता है,

इसे किसान खींच रहा है

पशुओं के झुंड चले आ रहे हैं

और पक्षियों की वापिसी की उड़ान

तेज हो चली है

धीरे-धीरे सब कुछ अदृश्य

हो चला है

और

सूरज पहाड़ की ओट दुबक गया।

Some More Questions From शमशेर बहादुर सिंह Chapter

कवि ने प्रातःकालीन आसमान की तुलना किससे की है?

कवि ने भोर के नभ की तुलना किससे की है और क्यों?

कवि काली सिल और लाल केसर के माध्यम से क्या कहना चाहता है?

स्लेट पर या लाल खड़िया चाक मल दी हो किसी ने -स्पष्ट करो।

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या  करें

नील जल में या

किसी की गौर, झिलमिल देह जैसे

हिल रही हो।

और .........

जादू टूटता है इस उषा का अब:

सूर्योदय हो रहा है।

कवि ने नीले जल में झिलमिलाते गौर वर्ण शरीर किसे कहा है?

उषा का जादू कब टूटता है?

इस काव्यांश में किस स्थिति का चित्रण हुआ है?

कवि की कल्पनाशीलता पर प्रकाश डालिए।

कविता के किन उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि उषा, कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्दचित्र है?