कवि ने भोर के नभ की तुलना किससे की है और क्यों?
कवि ने भोर के नभ की तुलना राख से पुते हुए गीले चौके से की है, क्योंकि भोर का नभ श्वेतवर्ण और नीलिमा का मिश्रित रूप लिए हुए है। उसमें ओस की नमी भी है अत: वह गीले चौके के समान प्रतीत होता है।
कवि ने भोर के नभ की तुलना किससे की है और क्यों?
कवि ने भोर के नभ की तुलना राख से पुते हुए गीले चौके से की है, क्योंकि भोर का नभ श्वेतवर्ण और नीलिमा का मिश्रित रूप लिए हुए है। उसमें ओस की नमी भी है अत: वह गीले चौके के समान प्रतीत होता है।
कवि ने प्रातःकालीन आसमान की तुलना किससे की है?
कवि ने भोर के नभ की तुलना किससे की है और क्यों?
कवि काली सिल और लाल केसर के माध्यम से क्या कहना चाहता है?
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक मल दी हो किसी ने -स्पष्ट करो।
किसी की गौर, झिलमिल देह जैसे
हिल रही हो।
और .........
जादू टूटता है इस उषा का अब:
सूर्योदय हो रहा है।
कवि ने नीले जल में झिलमिलाते गौर वर्ण शरीर किसे कहा है?
उषा का जादू कब टूटता है?
इस काव्यांश में किस स्थिति का चित्रण हुआ है?
कवि की कल्पनाशीलता पर प्रकाश डालिए।
कविता के किन उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि उषा, कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्दचित्र है?
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