कवि ने नीले जल में झिलमिलाते गौर वर्ण शरीर किसे कहा है?
कवि ने नीले आकाश में चमकते सूरज को नीले जल में झिलमिलाती गौरवर्ण नवयुवती कहा है। नीला आकाश नीले जल के समान है और सफेद चमकता हुआ सूरज सुंदरी की गोरी देह सा प्रतीत होता है।
कवि ने नीले जल में झिलमिलाते गौर वर्ण शरीर किसे कहा है?
कवि ने नीले आकाश में चमकते सूरज को नीले जल में झिलमिलाती गौरवर्ण नवयुवती कहा है। नीला आकाश नीले जल के समान है और सफेद चमकता हुआ सूरज सुंदरी की गोरी देह सा प्रतीत होता है।
किसी की गौर, झिलमिल देह जैसे
हिल रही हो।
और .........
जादू टूटता है इस उषा का अब:
सूर्योदय हो रहा है।
कवि ने नीले जल में झिलमिलाते गौर वर्ण शरीर किसे कहा है?
उषा का जादू कब टूटता है?
इस काव्यांश में किस स्थिति का चित्रण हुआ है?
कवि की कल्पनाशीलता पर प्रकाश डालिए।
कविता के किन उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि उषा, कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्दचित्र है?
राख से लीपा हुआ चौका
(अभी गीला पड़ा है)
नई कविता में कोष्ठक, विराम-चिन्हऔर पंक्तियों के बीच का स्थान भी कविता को अर्थ देता है। उपर्युक्त पंक्तियों में कोष्ठक से कविता में क्या विशेष अर्थ पैदा हुआ है? समझाइए।
अपने परिवेश के उपमानों का प्रयोग करते हुए सूर्योदय और सूर्यास्त का शब्दचित्र खींचिए।
सूर्योदय का वर्णन लगभग सभी बड़े कवियों ने किया है। प्रसाद की कविता ‘बीती विभावरी जाग री’ और अज्ञेय की ‘बावरा अहेरी’ की पंक्तियाँ आगे बॉक्स में दी जा रही हैं। ‘उषा’ कविता के समानांतर इन कविताओं को पढ़ते हुए नीचे दिए गए बिंदुओं पर तीनों कविताओं का विश्लेषण कीजिए और यह भी बताइए कि कौन-सी कविता आपको ज्यादा अच्छी लगी और क्यों?
● उपमान ● शब्दचयन ● परिवेश
‘उषा’ कविता में प्रातःकालीन आकाश की पवित्रता, निर्मलता और उज्ज्वलता के लिए प्रयुक्त कथन को स्पष्ट कीजिए।
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