कवि की कल्पनाशीलता पर प्रकाश डालिए।
कवि प्रात:कालीन आकाश को देखकर तरह-तरह की मोहक कल्पनाएँ करता है। कभी वह इसमें नीले शंख की कल्पना करता है। तो कभी इसमें राख से लीपे हुए चौको की कल्पना करता है। कभी वह नीले जल में झिलमिलाती गौरवर्ण नवयुवती की कल्पना करता है।