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शमशेर बहादुर सिंह

Question
CBSEENHN12026244

निम्नलिखित काव्याशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर कीजिए-
प्रात नभ था बहुत नीला शंख जैसे
भोर का नभ
राख से लीपा हुआ चौका
(अभी गीला पड़ा है)
बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से
कि जैसे धुल गई हो
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक
मल दी हो किसी ने
नील जल में या किसी की
गौर झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो।
और जादू टूटता है, इस ऊषा का अब
सूर्योदय हो रहा है

1. काव्याशं में प्रयुक्त उपमानों का उल्लेख कीजिए।
2. पद्यांश की भाषागत दो विशेषताओं की चर्चा कीजिए।
3. भाव-सौदंर्य स्पष्ट कीजिए:
    नील जल में या किसी की 
    गौर झिलमिल देह
    जैसे हिल रही हो।

 

Solution

1. काव्यांश में प्रयुक्त उपमान
   नीला शंख जैसा प्रात: का नभ
   राख से लीपा हुआ चौका जैसा भोर का नभ
   गौर झिलमिल देह जैसे

2. इस पद्यांश की दो भाषागत विशेषताएँ हैं:।
  (i) सरल, सुबोध भाषा का प्रयोग किया गया है।
  (ii) बिंबात्मक एवं चित्रात्मक भाषा का प्रयोग है।
3. इन पंक्तियों में सूर्योदय की वेला के प्राकृतिक सौंदर्य की मनोहारी झलक प्रस्तुत की गई है। आकाश में क्षण- क्षण परिवर्तित होते सौंदर्य के रूप-चित्रण में कवि को सफलता प्राप्त हुई है। कभी लगता है कि नीले जल वाले सरोवर में किसी गोरी नायिका का शरीर झिलमिला रहा है। कवि की कल्पना अत्यंत नवीन है। सूर्योदय होने पर उषा का यह जादू टूटने लगता है।
कवि ने उषाकालीन वातावरण को हमारी आँखों के सामने साकार रूप में उपस्थित कर दिया है। उत्प्रेक्षा और मानवीकरण अलंकारों का प्रयोग है।

 

Some More Questions From शमशेर बहादुर सिंह Chapter

कवि काली सिल और लाल केसर के माध्यम से क्या कहना चाहता है?

स्लेट पर या लाल खड़िया चाक मल दी हो किसी ने -स्पष्ट करो।

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या  करें

नील जल में या

किसी की गौर, झिलमिल देह जैसे

हिल रही हो।

और .........

जादू टूटता है इस उषा का अब:

सूर्योदय हो रहा है।

कवि ने नीले जल में झिलमिलाते गौर वर्ण शरीर किसे कहा है?

उषा का जादू कब टूटता है?

इस काव्यांश में किस स्थिति का चित्रण हुआ है?

कवि की कल्पनाशीलता पर प्रकाश डालिए।

कविता के किन उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि उषा, कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्दचित्र है?

भोर का नभ

राख से लीपा हुआ चौका

(अभी गीला पड़ा है)

नई कविता में कोष्ठक, विराम-चिन्हऔर पंक्तियों के बीच का स्थान भी कविता को अर्थ देता है। उपर्युक्त पंक्तियों में कोष्ठक से कविता में क्या विशेष अर्थ पैदा हुआ है? समझाइए।

अपने परिवेश के उपमानों का प्रयोग करते हुए सूर्योदय और सूर्यास्त का शब्दचित्र खींचिए।