‘उषा’ कविता के आधार पर सूर्योदय से ठीक पहले के प्राकृतिक दृश्यों का चित्रण कीजिए।
कवि सूर्योदय से पहले के दृश्य का चित्रण करते हुए बताता है कि सुबह का आकाश ऐसा लगता है माना राख से लीपा हुआ चौका हो तथा वह गीला होता है।। गीला चौका स्वच्छ होता है उसी तरह सुबह का आकाश भी स्वच्छ होता है। उसमें प्रदूषण नहीं होता।
सूर्योदय से पहले आकाश शंख के समान हुआ फिर आकाश राख से लीपे चौक जैसा हो गया, उसके बाद लगा जैसे काले सिल पर लाल केसर से धुलाई हुई हो, उसके बाद स्लेट पर खड़िया चाक मल दिया गया हो अत मे जैसे कोई स्वच्छ नील जल में गौर वर्ण वाली देह झिलमिला रही हो।