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शमशेर बहादुर सिंह

Question
CBSEENHN12026241

‘उषा’ कविता के आधार पर सूर्योदय से ठीक पहले के प्राकृतिक दृश्यों का चित्रण कीजिए।

Solution

कवि सूर्योदय से पहले के दृश्य का चित्रण करते हुए बताता है कि सुबह का आकाश ऐसा लगता है माना राख से लीपा हुआ चौका हो तथा वह गीला होता है।। गीला चौका स्वच्छ होता है उसी तरह सुबह का आकाश भी स्वच्छ होता है। उसमें प्रदूषण नहीं होता।

सूर्योदय से पहले आकाश शंख के समान हुआ फिर आकाश राख से लीपे चौक जैसा हो गया, उसके बाद लगा जैसे काले सिल पर लाल केसर से धुलाई हुई हो, उसके बाद स्लेट पर खड़िया चाक मल दिया गया हो अत मे जैसे कोई स्वच्छ नील जल में गौर वर्ण वाली देह झिलमिला रही हो।

Some More Questions From शमशेर बहादुर सिंह Chapter

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या  करें

प्रात: नभ था-बहुत नीला, शंख जैसे,

भोर का नभ,

राख से लीपा हुआ चौका

(अभी गीला पड़ा है।)

बहुत काली सिल

जरा से लाल केसर से

कि जैसे धुल गई हो।

स्लेट पर या लाल खड़िया चाक

मल दी हो किसी ने।

कवि ने प्रातःकालीन आसमान की तुलना किससे की है?

कवि ने भोर के नभ की तुलना किससे की है और क्यों?

कवि काली सिल और लाल केसर के माध्यम से क्या कहना चाहता है?

स्लेट पर या लाल खड़िया चाक मल दी हो किसी ने -स्पष्ट करो।

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या  करें

नील जल में या

किसी की गौर, झिलमिल देह जैसे

हिल रही हो।

और .........

जादू टूटता है इस उषा का अब:

सूर्योदय हो रहा है।

कवि ने नीले जल में झिलमिलाते गौर वर्ण शरीर किसे कहा है?

उषा का जादू कब टूटता है?

इस काव्यांश में किस स्थिति का चित्रण हुआ है?

कवि की कल्पनाशीलता पर प्रकाश डालिए।