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हरिवंशराय बच्चन

Question
CBSEENHN12026035

प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?

बच्चे प्रत्याशा में होंगे,

नीड़ों से झाँक रहे होंगे,

यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है!

दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!

Solution

प्रसंग: प्रस्तुत पक्तियाँ हरिवंशराय ‘बच्चन’ द्वारा रचित कविता ‘एक गीत’ से अवतरित हैं। यह कवित? उनके काव्य सग्रह ‘निशा निमत्रंण’ में सकलित है। इस कविता में कवि उन पक्षियों के विषय में बताता है जो प्रातःकाल होते ही अपने छोटे बच्चो को घोसलों में छोड्कर दाना-पानी जुटाने की फिक्र मैं वन- प्रदेश में घूमते फिरते हैं पर संध्याकाल होते ही वे अपने अपने घोंसलों की ओर लौटने लगते हैं।

व्याख्या: कवि प्रकृति में देखता है कि पक्षीवृंद घोंसलों से झाँकते प्रतीक्षारत अपने शावकों तक जल्दी से जल्दी पहुँच जाना चाहते हैं। इसके लिए वे अपने पंखों में ताजगी और स्फूर्त उड़ान का अनुभव कर दिन ढलने से पहले ही वापस पहुँच जाने का उपक्रम करने लगते हैं। संध्या होते ही अंधकार बढ़ने लगता है और पक्षी समझ जाते हैं कि अपने-अपने घोंसलों में लौटने का समय आ पहुँचा है। वे जानते हैं कि उनके नन्हें बच्चे दिन भर के भूखे-प्यासे होंगे और बड़ी उत्सुकता से उनके लौटने की प्रतीक्षा कर रहे होंगे। बच्चों के प्रति इसी ममता और चिंता के कारण ही ये पक्षी जल्दी ही अपने घोंसलों में पहुँच जाना चाहते हैं। यही भावना उन्हें स्फूर्ति और शक्ति देती है और पूरे उत्साह के साथ अपने- अपने घोंसलों की ओर उड़ने लगते हैं।

विशेष: 1. पक्षियों के मातृत्व- भाव और उनकी व्याकुलता का मार्मिक चित्रण किया गया है।

2. दृश्य और गति बिंब सार्थक बन पड़ा है।

3. ‘जल्दी-जल्दी’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

4. भाषा सरल एवं भावानुकूल है।

Some More Questions From हरिवंशराय बच्चन Chapter

दिये गये काव्याशं सप्रसंग व्याख्या करें?

कवि क्या लिए फिरता है?

कवि को यह संसार कैसा प्रतीत होता है?

कवि किस मन: स्थिति में रहता है?

कवि इस संसार में अपना जीवन किस प्रकार से बिताता है?

प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?

मैं यौवन का उन्माद लिए फिरता हूँ,

उन्मादों में अवसाद लिए फिरता हूँ,

जो मुझको बाहर हँसा, रुलाती भीतर,

मैं, हाय 2 किसी की याद लिए फिरता हूँ,

कर यत्न मिटे सब, सत्य किसी ने जाना?

नादान वहीं है, हाय, जहाँ पर दाना!

फिर छू न क्या जग, जो इस पर भी सीखे?

मैं सीख रहा हूँ, सीखा ज्ञान भुलाना!

कवि कैसा उन्माद लिए फिरता है? इसका उसे क्या प्रतिफल मिलता है?

कवि किस मन: स्थिति में जी रहा है और क्यों?

कवि इस संसार के बारे में क्या बताता है?

कौन व्यक्ति मूर्ख है और क्यों?