-->

हरिवंशराय बच्चन

Question
CBSEENHN12026051

संसार मे कष्टों को सहते हुए भी खुशी और मस्ती का माहौल कैसे पैदा किया जा सकता है?

Solution

संसार में सुख और दु:ख दोनों रहते हैं। यहाँ रहकर हमे अनेक कष्ट भी सहने पड़ते हैं। कष्ट निराशा लाते है। पर हम इन कष्टों को सहते हुए भी खुशी और मस्ती का माहौल (वातावरण) पैदा करना चाहिए। अब प्रश्न उठता है कि ऐसा माहौल कैसे पैदा किया जा सकता है। हमें इस संसार के यथार्थ को समझना होगा। कष्ट इस संसार का यथार्थ है। इनसे पूरी तरह छुटकारा मिलना असंभव है। यदि हम इन कष्टो को रो-पीटकर झेलेंगे तो जीवन जीना कठिन हो जाएगा। कष्टों को सहते हुए भी खुशी-मस्ती का अनुभव किया जा सकता है। खुशी-मस्ती के माहौल में कष्ट झेलना सरल हो जाता है। इसके लिए हमे सकारात्मक दृष्टि रखनी होगी।

Some More Questions From हरिवंशराय बच्चन Chapter

कवि ने अपने जीवन के बारे में क्या कहा है?

कवि अपने विगत जीवन के बारे में क्या बताता है?

कवि किसका पान किया करता है और इससे उसकी हालत कैसी हो जाती है?

कवि संसार के बारे में क्या बताता है?

दिये गये काव्याशं सप्रसंग व्याख्या करें?

कवि क्या लिए फिरता है?

कवि को यह संसार कैसा प्रतीत होता है?

कवि किस मन: स्थिति में रहता है?

कवि इस संसार में अपना जीवन किस प्रकार से बिताता है?

प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?

मैं यौवन का उन्माद लिए फिरता हूँ,

उन्मादों में अवसाद लिए फिरता हूँ,

जो मुझको बाहर हँसा, रुलाती भीतर,

मैं, हाय 2 किसी की याद लिए फिरता हूँ,

कर यत्न मिटे सब, सत्य किसी ने जाना?

नादान वहीं है, हाय, जहाँ पर दाना!

फिर छू न क्या जग, जो इस पर भी सीखे?

मैं सीख रहा हूँ, सीखा ज्ञान भुलाना!