संसार मे कष्टों को सहते हुए भी खुशी और मस्ती का माहौल कैसे पैदा किया जा सकता है?
संसार में सुख और दु:ख दोनों रहते हैं। यहाँ रहकर हमे अनेक कष्ट भी सहने पड़ते हैं। कष्ट निराशा लाते है। पर हम इन कष्टों को सहते हुए भी खुशी और मस्ती का माहौल (वातावरण) पैदा करना चाहिए। अब प्रश्न उठता है कि ऐसा माहौल कैसे पैदा किया जा सकता है। हमें इस संसार के यथार्थ को समझना होगा। कष्ट इस संसार का यथार्थ है। इनसे पूरी तरह छुटकारा मिलना असंभव है। यदि हम इन कष्टो को रो-पीटकर झेलेंगे तो जीवन जीना कठिन हो जाएगा। कष्टों को सहते हुए भी खुशी-मस्ती का अनुभव किया जा सकता है। खुशी-मस्ती के माहौल में कष्ट झेलना सरल हो जाता है। इसके लिए हमे सकारात्मक दृष्टि रखनी होगी।