निम्नलिखित काव्य पंक्तियों का सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
देखना कुछ बक न देना
उन्हें कोई शक न देना।
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि भवानीप्रसाद मिश्र ने खड़ी बोली की छंदमुक्त कविता का प्रयोग किया है। भाषा सरल, सहज और स्वाभाविक है। कवि ने ‘शक’ और ‘बक’ दो तुकान्त शब्दों का सटीक प्रयोग किया है। कवि ने सा. को अपने बारे में अनेक बातें बताई है किन्तु वह नहीं चाहता कि सारी बातें पिताजी से कही जाएँ। वह कुछ बातें छिपाना चाहता है, अत: सावन से कहता है, ‘देखना कुछ बक न देना।’ वह सावन को सावधान करता है कि पिताजी के सामने कुछ अकथ्य प्रलाप मत कर देना। वे यह अकथ्य सुनकर दुखी होंगे और मेरे ऊपर शक करेंगे। इसलिए तू ऐसा सारगर्भित और सुखात्मक ही पिताजी को बताना कि उनका मुझ पर विश्वास बना रहे और मेरे ऊपर शक न करें।’