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अवतार सिंह पाश

Question
CBSEENHN11012341

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती
बैठे-बिठाए पकड़े जाना-बुरा तो है
सहमी-सी चुप में जकड़े जाना-बुरा तो है
पर सबसे खतरनाक नहीं होता
कपट के शोर में
सही होते हुए भी दब जाना-बुरा तो है
किसी जुगनू की लौ में पढ़ना-बुरा तो है
मुट्ठियाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेना-बुरा तो है
सबसे खतरनाक नहीं होता

Solution

प्रसंग: प्रस्तुत काव्याशं पंजाबी कवि पाश द्वारा रचित ‘सबसे खतरनाक’ से अवतरित है। यह कविता मूल-रूप से पंजाबी में रची गई है। इसका हिन्दी में अनुवाद चमनलाल ने किया है। इस कविता में कवि ने दिनो-दिन अधिकाधिक नृशंस और क्रूर होती जा रही स्थितियों को उसकी विद्रूपताओं के साथ चित्रित किया है। कवि तटस्थ रहने के प्रति अपनी असहमति जताता है।

व्याख्या-कवि व्यंग्यात्मक ढंग से पुलिस की कार्य-प्रणाली का उल्लेख करते हुए कहता है कि पुलिस की मार खतरनाक तो होती है, पर सबसे अधिक खतरनाक नहीं होती। मेहनत की कमाई का लुट जाना भी इसी श्रेणी में आता है। किसी के साथ गद्दारी करना अथवा लोभवश मुट्ठी गरम करना भी खतरनाक है, पर उतना खतरनाक नहीं जितना अन्य बातें।

इसी प्रकार बिना किसी कारण के पुलिस पकड़ ले जाए तो यह बुरी बात अवश्य है। जब हम सहमकर चुप हो जाते हैं और प्रतिरोध नहीं करते, तब भी बुरा होता है, पर यह स्थिति भी सबसे ज्यादा खतरनाक नहीं होती।

कई अन्य बातें भी बुरी हैं, जैसे- धोखे के शोर-शराबे में सच का गला घोंट देना और चुप रह जाना बुरा है। जुगनू के प्रकाश में पढ़ना भी बुरा है। इसी प्रकार विवशता प्रकट करते हुए अपनी मुट्ठियां भींचकर रह जाना और वक्त को निकालते जाना भी बुरी बात है। यद्यपि ये सब बातें बुरी हैं, पर सबसे अधिक खतरनाक नहीं है। और कई बातें ऐसी हैं जो बहुत ज्यादा खतरनाक हैं। उनसे बचा जाना चाहिए।

विशेष- 1. ‘बैठे बिठाए’ में अनुप्रास अलंकार है।

2. सरल एवं सुबोध भाषा का प्रयोग है।

Some More Questions From अवतार सिंह पाश Chapter

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती
बैठे-बिठाए पकड़े जाना-बुरा तो है
सहमी-सी चुप में जकड़े जाना-बुरा तो है
पर सबसे खतरनाक नहीं होता
कपट के शोर में
सही होते हुए भी दब जाना-बुरा तो है
किसी जुगनू की लौ में पढ़ना-बुरा तो है
मुट्ठियाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेना-बुरा तो है
सबसे खतरनाक नहीं होता

सबसे खतरनाक होता है
मुर्दा शांति से भर जाना
न होना तड़प का सब सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौटकर घर आना
सबसे खतरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना
सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है
आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो
आपकी निगाह में रुकी होती है

सबसे खतरनाक वह आँख होती है
जो सबकुछ देखती हुई भी जमी बर्फ होती है
जिसकी नजर दुनिया को मुहब्बत से चूमना भूल जाती है
जो चीजों से उठती अंधेपन की भाप पर ढुलक जाती है
जो रोजमर्रा के कम को पीती हुई
एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलट-फेर में खो जाती है।
सबसे खतरनाक वह चाँद होता है
जो हर हत्याकांड के बाद
वीरान हुए रंगनों में चढ़ता है
पर आपकी आँखों को मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है

सबसे खतरनाक वह गीत होता है
आपके कानों तक पहुँचने के लिए
जो मरसिए पड़ता है
आतंकित लोगों के दरवाजों पर
जो गुंडे की तरह अकड़ता है
सबसे खतरनाक वह रात होती है
जो जिंदा रूह के आसमानों पर ढलती है
जिसमें सिर्फ उल्लू बोलते और हुआँ हुआँ करते गीदड़
हमेशा के अँधेरे बंद दरवाजों-चौगाठों पर चिपक जाते हैं

सबसे खतरनाक वह दिशा होती है
जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए
और उसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा
आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए
मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती।

कवि ने किस आशय से मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी-लोभ को सबसे खतरनाक नहीं माना?

सबसे खतरनाक शब्द के बार-बार दोहराए जाने से कविता में क्या असर पैदा हुआ?

कवि ने कविता में कई बातों को ‘बुरा है’ न कहकर ‘बुरा तो है’ कहा है। ‘तो’ ‘प्रयोग से कथन की भंगिमा में क्या बदलाव आया है, स्पष्ट कीजिए?

मुर्दा शांति से भर जाना और हमारे सपनों का मर जाना- इनको सबसे खतरनाक माना गया है। आपकी दृष्टि में इन बातों में परस्पर क्या संगीत है और ये क्यों सबसे खतरनाक हैं?

सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है/आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो/आपकी निगाह में रुकी होती है। इन पंक्तियों में घड़ी शब्द की व्यंजना से अवगत कराइए।