सबसे खतरनाक वह गीत होता है
आपके कानों तक पहुँचने के लिए
जो मरसिए पड़ता है
आतंकित लोगों के दरवाजों पर
जो गुंडे की तरह अकड़ता है
सबसे खतरनाक वह रात होती है
जो जिंदा रूह के आसमानों पर ढलती है
जिसमें सिर्फ उल्लू बोलते और हुआँ हुआँ करते गीदड़
हमेशा के अँधेरे बंद दरवाजों-चौगाठों पर चिपक जाते हैं
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ पाश द्वारा रचित कविता ‘सबसे खतरनाक’ से अवतरित हैं। इसमें कवि सबसे खतरनाक स्थिति की और संकेत करता है।
व्याख्या-कवि उस गीत को सबसे खतरनाक बताता है जो हमारे कानों तक पहुँचने के लिए शोक—गीत का रूप ले लेता है। जिन लोगों को नृशंसता और क्रूरता के बलबूते पर आतंकित किया जाता है, वहाँ यह गीत अकड़ दिखाता है। कहीं मरसिए पढ़ना और कहीं अकड़ना। यह दोहरापन खतरनाक स्थिति की ओर संकेत है।
इसी प्रकार कवि उस रात को सबसे खतरनाक बताता है जहाँ उल्लू बोलते हैं और गीदड़ हुआँ-हुआँ करते हैं। यह सुनसान और भयावह वातावरण की ओर संकेत है। दरवाजों और चौखटों पर अंधकार अर्थात् त्रासद स्थिति चिपककर रह जाती है।
विशेष- 1. ‘मरसिए’, ‘जिंदा रूह’, ‘खतरनाक’ जैसे उर्दू शब्दों का प्रयोग किया गया है।
2. भाषा में प्रतीकात्मकता का समावेश है।