सबसे खतरनाक वह आँख होती है
जो सबकुछ देखती हुई भी जमी बर्फ होती है
जिसकी नजर दुनिया को मुहब्बत से चूमना भूल जाती है
जो चीजों से उठती अंधेपन की भाप पर ढुलक जाती है
जो रोजमर्रा के कम को पीती हुई
एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलट-फेर में खो जाती है।
सबसे खतरनाक वह चाँद होता है
जो हर हत्याकांड के बाद
वीरान हुए रंगनों में चढ़ता है
पर आपकी आँखों को मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ पाश द्वारा रचित पंजाबी कविता ‘सबसे खतरनाक’ के हिन्दी अनुवाद से अवतरित हैं। कवि उस स्थिति पर विचार करता है जो सबसे खतरनाक हो सकती है।
व्याख्या-कवि की दृष्टि में जिस आँख में कोई सपना नहीं होता और सबकुछ देखकर भी अनजान बनी रहती है, वह किसी भी स्थिति को देखकर तटस्थ बनी रहती है। उसकी प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो गई जान पड़ती है। जब लोग दुनिया को प्रेम- भाव से चूमना भूल जाते हैं। उन पर किसी बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ता अर्थात् वे लोग संवेदनहीन हो जाते हैं। ऐसे लोग एक बने बनाए ढर्रे पर जीवन गुजारते रहते हैं। उनका जीवन लक्ष्यहीन हो जाता है। वे एक ही जिंदगी को रोज-रोज दुहराते हैं। उनमें कोई नवीनता दिखाई नहीं देती। यह स्थिति सबसे अधिक खतरनाक होती है।
कवि उस चाँद को भी सबसे खतरनाक बताता है जो प्रत्येक हत्याकांड के बाद वीरानी में भी गिन की ऊँचाई पर चढ़ता है। ऐसा चाँद आपकी आँखों में चुभना चाहिए, पर नहीं चुभता।
कवि का भाव यह है कि यह दुनिया दिनोंदिन क्रूर और नृशंस होती जा रही है और इसका विरोध करने की शक्ति हमारी क्षीण होती चली जा रही है। हम तटस्थता का भाव ओढ़े हुए हैं। यही स्थिति सबसे अधिक खतरनाक है। हमें अन्याय के विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए।
विशेष- 1. प्रतीकात्मकता एवं लाक्षणिकता का समावेश हुआ है। खि का जमी बर्फ होना, लक्ष्यहीन दुहराव, चांद का वीरान आँगनों में चढ़ना आदि)
2. सरल एवं सुबोध भाषा का प्रयोग किया गया है।