सबसे खतरनाक वह दिशा होती है
जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए
और उसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा
आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए
मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती।
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ पाश द्वारा रचित कविता ‘सबसे खतरनाक’ से अवतरित हैं। कवि सबसे खतरनाक स्थिति की ओर सकेत करते हुए कहता है-
व्याख्या-सबसे खतरनाक उस दिशा को मानना चाहिए जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए अर्थात् जहाँ आत्मा के सवाल बेमानी हो जाते हैं। जब हम आत्मा की आवाज अनसुनी कर देते हैं तब ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है। उसकी मुर्दा जैसी स्थिति हम पर कहीं कोई प्रभाव छोड़ जाए, तो वह स्थिति भी खतरनाक होती है। ये सभी विद्रूपताएँ उत्पन्न करने वाली स्थितियाँ सबसे अधिक खतरनाक होती हैं।
कवि फिर स्पष्ट करता है कि मेहनत का लुट जाना, पुलिस की मार पड़ना, गद्दारी करना तथा लोभ के वशीभूत हो जाना खतरनाक होते हुए भी सबसे अधिक खतरनाक स्थितियाँ नहीं हैं। सबसे खतरनाक स्थिति वह होती है जब स्थिति को बदलने की हमारी इच्छा मर जाए और भविष्य को उज्ज्वल बनाने के सपने गुम हो जाएँ। हमारे अंदर प्रतिकूल परिस्थितियों से टकराने की भावना होनी चाहिए।
विशेष- 1. कवि प्रतीकात्मक रूप में कई बातें कह जाता है, जैसे-
आत्मा का सूरज डूब जाना। कवि लाक्षणिकता का भी आश्रय लेता है।
2. भाषा सरल एवं सुबोध है।