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भवानी प्रसाद मिश्र

Question
CBSEENHN11012288

पिता के हृदय की तुलना बरगद से करने का कारण स्पष्ट कीजिए।

Solution

कवि भवानीप्रसाद मिश्र ने अपनी ‘पिता’ शीर्षक कविता में अपने पिताजी के हृदय की तुलना वट वृक्ष से की है- “मन कि बड़ का झाडू जैसे।” पिताजी का हृदय कोमल और भावुक प्रकृति का है। जिस प्रकार बरगद के वृक्ष का कोई पत्ता टूट जाए, हलकी सी चोट लग जाए या टहनी टूट जाए तो बरगद के वृक्ष से दूध की धारा बहने लगती है, पिताजी का हृदय भी उसी प्रकार का है कि कोई छोटा-सा भी कष्ट हो या कोई अलग हो तो उनकी आँखों से आँसू बरसने लगते हैं। वियोग सहन न कर पाने के कारण पिता के हृदय की तुलना बरगद से की गई है।

Some More Questions From भवानी प्रसाद मिश्र Chapter

हे सजीले हरे सावन,
हे कि मेरे पुण्य पावन,
तुम बरस लो वे न बरसें,
पाँचवें को वे न तरसें,
मैं मजे में हूँ सही है,
घर नहीं हूँ बस यही है,
किंतु यह बस बड़ा बस है,
इसी बस से सब विरस है,

किंतु उनसे यह न कहना
उन्हें देते धीर रहना,
उन्हें कहना लिख रहा हूँ,
उन्हें कहना पढ़ रहा हूँ।
काम करता हूँ कि कहना,
नाम करता हूँ कि कहना,
चाहते हैं लोग कहना,
मत करो कुछ शोक कहना,

और कहना मस्त हूँ मैं,
कातने में व्यस्त हूँ मैं,
वजन सत्तर सेर मेरा,
और भोजन ढेर मेरा,
कूदता हूँ, खेलता हूँ,
दू:ख डट कर ठेलता हूँ,
और कहना मस्त हूँ, मैं,
यों न कहना अस्त हूँ मैं,
हाय रे, ऐसा न कहना,
है कि जो वैसा न कहना,
कह न देना जागता हूँ,
आदमी से भागता हूँ,

कह न देना मौन हूँ मैं,
खुद ना समझुँ कौन हूँ मैं,
देखना कुछ बक न देना,
उन्हें कोई शक न देना,
हे सजीले हरे सावन,
हे कि मेरे पुण्य पावन,
तुम बरस लो वे न बरसें,
पाँचवें को वे न तरसें।,

पानी के रात- भर गिरने और प्राण-मन के घिरने में परस्पर क्या संबंध है?

मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को ‘परिताप का घर’ क्यों कहा है?

पिता के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं को उकेरा गया है?

निम्नलिखित पंक्तियों में ‘बस’ शब्द के प्रयोग की विशेषता बताइए।

मैं मजे में हूँ सही है

घर नहीं हूँ बस यही है

किंतु यह बस बड़ा बस है,

इसी बस से बस विरस है।

कविता की अंतिम 12 पंक्तियों को पढ़कर कल्पना कीजिए कि कवि अपनी किस स्थिति व मनःस्थिति को अपने परिजनों से छिपाना चाहता है?

ऐसी पाँच रचनाओं का संकलन कीजिए, जिसमें प्रकृति के उपादानों की कल्पना संदेशवाहक के रूप में की गई है।