निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
‘पकड़ इसका कान, और लगवा इससे दस उठक-बैठक’, वे आदेश दे देते। धनराम भी उन अनेक छात्रों में से एक था जिसने त्रिलोक सिंह मास्टर के आदेश पर अपने हमजोली मोहन के हाथों कई बार बेंत खाए थे या कान खिंचवाए थे। मोहन के प्रति थोड़ी-बहुत ईर्ष्या रहने पर भी धनराम प्रारंभ से ही उसके प्रति स्नेह और आदर का भाव रखता था। इसका एक कारण शायद यह था कि बचपन से ही मन में बैठा दी गई जातिगत हीनता के कारण घनराम ने कभी मोहन को अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं समझा बल्कि वह इसे मोहन का अधिकार ही समझता रहा था। बीच-बीच में त्रिलोक सिंह मास्टर का यह कहना कि मोहन एक दिन बहुत बड़ा आदमी बनकर स्कूल का और उसका नाम ऊँचा करेगा, घनराम के लिए किसी और तरह से सोचने की गुंजाइश ही नहीं रखता था।
1. कौन, किसको, क्या आदेश देते?
2. इस गद्याशं में किसके, किससे मार खाने का उल्लेख है?
3. धनराम मोहन के बारे में क्या सोचता था और क्यों?
1. मास्टर त्रिलोकसिंह अपने शिष्य मोहन को शरारती अथवा पढ़ाई का काम न करने वाले छात्रों को सजा देने का आदेश देते थे। वे मोहन से ही कहते कि अमुक छात्र के कान पकड़े और दस उठक-बैठक लगवाए। मास्टर साहब के आदेश पर मोहन के उससे अनेक साथियों ने उसके हाथों कई बार बेंत भी खाए थे और कान भी खिंचवाए थे।
2. इस गद्यांश में मोहन के हाथों कई बार मार खाने के संदर्भ में घनराम का उल्लेख है। इसके बावजूद उसके मन में मोहन के प्रति थोड़ी-बहुत ईर्ष्या रहने के बावजूद उसके प्रति स्नेह और आदर का अभाव रहता था। इसका कारण यह भी था कि उसके मन में जातिगत हीनता की भावना बिठा दी गई थी ।
3. घनराम मोहन के बारे में अच्छी भावना रखता था। उसने मोहन को कभी अपना प्रतिद्वंद्वी समझा ही नहीं। वह मोहन के अधिकार को स्वीकारता था। चुँकि मोहन मास्टर त्रिलोकसिंह का प्रिय शिष्य था तथा वे उसके बड़ा आदमी बनने की आशा रखते थे। अत: घनराम के लिए मोहन के बारे में और कुछ सोचने का अवकाश ही न था। वह भी मानने लगा था कि मोहन भविष्य में एक बड़ा आदमी बनेगा।