निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
तुम्ह तौ कालु हॉक जनु लावा। बार बार मोहि लागि बोलावा।
सुनत लखन के बचन कठोरा। परसु सुधारि धरेउ कर घोरा।।
अब जनि देइ दोसु मोहि लोगु। कटुबादी बालकु बधजोगू ।।
बाल बिलोकि बहुत मैं बाँचा। अब येहु मरनिहार भा साँचा।।
कौसिक कहा छमिअ अपराधू। बाल दोष गुन गनहिं न साधू।।
खर कुठार मैं अकरुन कोही। आगे अपराधी गुरुद्रोही।।
उतर देत छोड़ौ बिनु मारे। केवल कौसिक सील तुम्हारे।।
न त येहि काटि कुठार कठोरें। गुरहि उरिन होतेउँ श्रम थोरें।।
गाधिसू कह हृदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ।
अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ।।
इस काव्यांश में प्रयुक्त अलंकार लिखिए।
उत्प्रेक्षा- तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा।
पुनरुक्तिप्रकाश- बार-बार।
रूपकातिशयोक्ति- अयमय खाँड़ न ऊखमय।
अनुप्रास- • ‘कौसिक कहा’, ‘अकरुन कोही’, ‘केवल कौसिक’, ‘काटि कुठार कठोरे’
• ‘गुन गनाहिं
• ‘हृदय हसि मुनिहि हरियरे’
• ‘परसु सुधारि धरेउ कर घोरा’
• ‘देइ दोसू’
• ‘कटुबादी बालकु बधजोगू, ‘बाल बिलोकि बहुत मैं बाँचा’