तुलसीदास - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद

Question
CBSEENHN10002078

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर उसकी सप्रसंग व्याख्या कीजिये:
बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी।।
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन फूँकि पंहारू।।
इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मीर जाहीं।।
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना।।
भृगुसुत समुझि जनेउ बिलोकी। जो कछु कहहु सहौं रिस रोकी।।
सुर महिसुर हरिजन अरु गाई। हमरे कुल इन्ह पर न सुराई।।
बधें पापु अपकीरति हारें। मारतहू पा परिअ तुम्हारें।।
कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा। व्यर्थ धरहु धनु बान कुठारा।।
     जो बिलोकि अनुचित कहेउँ छमहु महामुनि धीर। 
     सुनि सरोष भृगुबंसमीन बोले गिरा गंभीर।।

लक्ष्मण ने परशुराम से अभिमानपूर्वक बात क्यों की थी?

Solution

लक्ष्मण ने परशुराम के कुल्हाड़े और धनुष-बाण देख कर उन्हें क्षत्रिय समझ कर अभिमानपूर्वक बात की।

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Some More Questions From तुलसीदास - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद Chapter

भाव स्पष्ट कीजिये-
गाधिसू नु कह ह्रदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ   
अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ ।

पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा सौंदर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।

इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।

निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए-
बालकु बोलि बधौं नहि तोही।

निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए-
कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा।

निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए-
तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा।
बार-बार मोहि लागि बोलावा।

निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए-
लखन उतर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु।
बढ़त देखि जल सम वचन बोले रघुकुलभानु।।

 “सामाजिक जीवन में क्रोध की ज़रूरत बराबर पड़ती है। यदि क्रोध न हो तो मनुष्य दूसरे के द्वारा पहुँचाए जाने बाले बहुत से कष्टों की चिर-निवृत्ति का उपाय ही न कर सके।”

आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का यह कथन इस बात की पुष्टि करता है कि क्रोध हमेशा नकारात्मक भाव लिए नहीं होता बल्कि कभी-कभी सकारात्मक भी होता है। इसके पक्ष या विपक्ष में अपना मत प्रकट कीजिए।

संकलित अंश में राम का व्यबहार विनयपूर्ण और संयत है; लक्ष्मण लगातार व्यंग्य बाणों का उपयोग करते हैं और परशुराम का व्यवहार क्रोध से भरा हुआ है। आप अपने आप को इस परिस्थिति में रखकर लिखें कि आपका व्यबहार कैसा होता 

अपने किसी परिचित या मित्र के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए।