Question
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
छाया मत छूना
मन, होगा दु:ख दूना।।
यश है या न वैभव है, मान है न सरमाया;
जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया।
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
जो है यथार्थ कठिन उस का तू कर पूजन
भाव व्यक्त कीजिए।
Solution
कवि ने स्वीकार किया है कि जीवन में सुख-दुःख तो आते ही रहते हैं। किसी के भी जीवन में केवल सुख नहीं रहते बल्कि हर सुख के पीछे दुःख तो निश्चित रूप से लगा ही रहता है।