Question
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
छाया मत छूना
मन, होगा दु :ख दूना।।
यश है या न वैभव है, मान है न सरमाया;
जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया।
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
जो है यथार्थ कठिन उस का तू कर पूजन
‘भरमाया’ में निहित अर्थ स्पष्ट कीजिए।
Solution
‘भरमाया’ का अर्थ है - भ्रम में पड़ना। सुख-संपत्तियों और सुखों को प्राप्त करने के लिए हम जितनी अधिक भाग-दौड़ करते हैं, यह उतना ही अधिक हमें भ्रम में डालते जाते हैं। हमारी परेशानियां इससे बढ़ती ही जाती हैं।