Question
निम्नलिखित काव्याशं को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए:
उसे देखने मरघट को ही
गया दौड़ता हुआ वहाँ,
मेरे परिचित बंधु प्रथम ही
फूँक चुके थे उसे जहाँ।
बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी,
हाय! फूल-सी कोमल बच्ची
हुई राख की थी ढेरी!
Solution
भाव पक्ष- सुखिया के पिता को मंदिर में प्रवेश करने के अपराध में सात दिन की जेल हो गई। इसी बीच उसकी बेटी चल बसी। अत: जेल से छूटने के बाद वह अपनी बेटी को देखने के लिए श्मशान घाट पहुँचा। वह अधीर होकर दौड़ता हुआ वहाँ पहुँचा ताकि उसे अंतिम बार देख सके। परन्तु उसके जानकार तथा संबंधी उसे पहले ही जला चुके थे। उसकी चिता बुझ चुकी थी। हाय! उसकी फूल जैसी कोमल बच्ची राख की ढेरी बन चुकी थी। उसे देखकर सुखिया के पिता की छाती काँप उठी।