Question
निम्नलिखित काव्याशं को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए।
सिंह पौर तक भी आँगन से
नहीं पहुँचने मैं पाया,
सहसा यह सुन पड़ा कि-”कैसे
यह अछूत भीतर आया?
पकड़ो देखो भाग न जावे
बना धूर्त यह है कैसा;
साफ-स्वच्छ परिधान किए है,
भले मानुषों के जैसा।
Solution
शिल्प सौन्दर्य:
1. भक्तों द्वारा अछूतों का अपमान किए जाने का सजीव वर्णन हुआ है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।
3. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
4. भावों को कथात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है।
5. तत्सम प्रधान शब्दावली का प्रयोग दृष्टव्य है।
6. भाषा सरस, सरल व मर्मस्पर्शी है।
7. भाषा शैली- भावात्मक, कथात्मक, संवादात्मक व उदाहरणात्मक है।
8. कवि की कथा शैली बहुत सशक्त, सजीव व रोचक है।