Question
निम्नलिखित काव्याशं को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए:
सिंह पौर तक भी आँगन से
नहीं पहुँचने मैं पाया,
सहसा यह सुन पड़ा कि-”कैसे
यह अछूत भीतर आया?
पकड़ो देखो भाग न जावे
बना धूर्त यह है कैसा;
साफ-स्वच्छ परिधान किए है,
भले मानुषों के जैसा।
Solution
भाव पक्ष- सुखिया के पिता मंदिर में पूजा के फूल लेने गए तो भक्तों ने उन्हें अछूत कहकर पकड़ लिया। अभी वह मंदिर के गिन से मुख्य द्वार तक भी नहीं पहुँच पाया था कि अचानक ही वह आवाज मेरे कानों में सुनाई पड़ी-यह अछूत मंदिर में कैसे आया था? इसे पकड़ लो, देखो, कहीं भाग न जाए। यह धूर्त साफ-सुथरे वस्त्र पहनकर कैसा भले मनुष्यों जैसा बना हुआ है।