Question
निम्नलिखित काव्याशं को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
भक्त-वृंद मृदु-मधुर कंठ से
गाते थे सभक्ति मुद-मय,-
‘पतित-तारिणी पाप-हारिणी,
माता, तेरी जय-जय-जय!’
‘पतित-तारिणी, तेरी जय-जय’-
मेरे सुख से भी निकला,
बिना बढ़े ही मैं आगे को
जाने किस बल से ढिकला!
सुखिया के पिता आगे कैसे पहुँच गए?
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धक्का लगने पर
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भाव विभोर होकर
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किसी के कहने पर
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देवी माँ की प्रतिभा के प्रति आकर्षित अनजान बल से
Solution
D.
देवी माँ की प्रतिभा के प्रति आकर्षित अनजान बल से