Question
निम्नलिखित पद्याशं को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए:
देख रहा था-जो सुस्थिर हो
नहीं बैठती थी क्षण-भर,
हाय! वही चुपचाप पड़ी थी
अटल शांति-सी धारण कर।
सुनना वही चाहता था मैं
उसे स्वयं ही उकसाकर-
मुझको देवी के प्रसाद का
एक फूल ही दो लाकर!
Solution
भाव पक्ष- सुखिया का पिता सुखिया की बीमारी के कारण हुई दुर्दशा का चित्रण करता हुआ कहता है कि मैं अपने सामने ही देख रहा कि मेरी बेटी, जो पल भर के लिए भी टिककर नहीं बैठती थी, वही अब स्थिर शांति की मूर्ति बनी चुपचाप बिस्तर पर पड़ी थी। मैं अब उसे स्वयं ही बार-बार प्रेरित कर रहा था कि वह मुझे फिर से वही शब्द कहे-पिताजी! मुझे देवी के प्रसाद का फूल लाकर दो।