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एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त

Question
CBSEENHN9000888

निम्नलिखित पद्याशं को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये - 
सभी ओर दिखलाई दी बस,
अधंकार की ही छाया
छोटी-सी बच्ची को ग्रसने
कितना बड़ा तिमिर आया!
ऊपर विस्तृत महाकाश में
जलते-से अंगारों से,
झुलसी-सी जाती थी आँखें
जगमग जगते तारों से।

प्रस्तुत पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार लिखिए 
  • मानवी करण व उपमा
  • अनुप्रास और उपमा
  • यमक व रूपक
  • अनुप्रास, उपमा व मानवीकरण

Solution

D.

अनुप्रास, उपमा व मानवीकरण

Some More Questions From एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त Chapter

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
हाय! वही चुपचाप पड़ी थी
अटल शांति-सी धारण कर

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
पापी ने मंदिर में घुसकर
किया अनर्थ बड़ा भारी

सुखिया ने अपने पिता से देवी के प्रसाद का एक फूल क्यों माँगा?

मंदिर के सौन्दर्य का वर्णन अपने शब्दों में करो।

सुखिया का पिता किस सामाजिक बुराई का शिकार हुआ?

इस कविता से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?

निम्नलिखित पंक्तिओं को पढ़कर उनका भाव पक्ष लिखिए:
उद्वेलिकत कर अश्रु-राशियाँ
हृदय- चिताएँ धधकार,
महा महामारी प्रचड़ं हो
फैल रही थी इधर-उधर।
क्षीण-कंठ मृतवत्साओं का
करुण रुदन दुर्दात नितांत
भरे हुए था निज कृश रव में
हाहाकार अपार अशांत 

निम्नलिखित पंक्तिओं को पढ़कर उनका शिल्प सौन्दर्य लिखिए:
उद्वेलिकत कर अश्रु-राशियाँ
हृदय- चिताएँ धधकार,
महा महामारी प्रचड़ं हो
फैल रही थी इधर-उधर।
क्षीण-कंठ मृतवत्साओं का
करुण रुदन दुर्दात नितांत
भरे हुए था निज कृश रव में
हाहाकार अपार अशांत 

निम्नलिखित पंक्तिओं को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
उद्वेलिकत कर अश्रु-राशियाँ
हृदय- चिताएँ धधकार,
महा महामारी प्रचड़ं हो
फैल रही थी इधर-उधर।
क्षीण-कंठ मृतवत्साओं का
करुण रुदन दुर्दात नितांत
भरे हुए था निज कृश रव में
हाहाकार अपार अशांत 

‘एक फूल की चाह’ कविता किस समस्या पर आधारित है?