Question
निम्नलिखित पद्याशं को पढ़कर उनका शिल्प सौन्दर्य लिखिए।
क्रमश: कठ क्षीण हो आया,
शिथिल हुए अवयव सारे,
बैठा था नव-नव उपाय की
चिंता में मैं मनमारे।
जान सका न प्रभाव सजग से
हुई अलस कब दोपहरी,
स्वर्ण-घनों में कब रवि डूबा,
कब आई संध्या गहरी।
Solution
शिल्प सौन्दर्य-
1. बीमार बेटी की चिन्ता में घुल रहे पिता की दयनीय मनोदशा का अत्यन्त संजीव चित्रण किया गया है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।
3. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
4. भावों को कथात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है।
5. तत्सम प्रधान शब्दावली का प्रयोग दृष्टव्य है।
6. भाषा सरस, सरल व मर्मस्पर्शी है।
7. भाषा शैली- भावात्मक, कथात्मक, संवादात्मक व उदाहरणात्मक है।
8. ‘नव-नव’ में पुनरूक्ति प्रकाश तथा ‘क्रमश: कंठ’ में अनुप्रास अलंकार है।