Question
निम्नलिखित पद्याशं को पढ़कर उनका शिल्प सौन्दर्य लिखिए:
भीतर जो डर रहा छिपाए,
हाय! वही बाहर आया।
एक दिवस सुखिया के तनु को
ताप-तप्त मैंने पाया।
ज्वर में विहृल हो बोली वह,
क्या जाएं किस डर से डर,
मुझको देवी के प्रसाद का
एक फूल ही दो लाकर।
Solution
शिल्प सौन्दर्य-
1. इसमें सुखिया के महामारी की चपेट में आने पर मृत्यु के बोध होने का सजीव चित्रण हुआ है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।
3. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
4. भावों को कथात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है।
5. तत्सम प्रधान शब्दावली का प्रयोग दृष्टव्य है।
6. भाषा सरस, सरल व मर्मस्पर्शी है।
7. भाषाशैली-भावात्मक, कथात्मक, संवादात्मक व उदाहरणात्मक शैली है।
8. कवि ने घटना का अत्यन्त सरल शब्दों में वर्णन किया है।