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अब कैसे छूटै राम नाम - रैदास

Question
CBSEENHN9000694

निम्नलिखित पद्यांश का शिल्प सौन्दर्य  लिखिए 
ऐसा लाल तुझ बिनु कउनु करै।
गरीब निवाजु गुसईआ मेरा माथै छत्रु धरै।।
जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै।
नीचह ऊच करै मेरा गोबिदुं काहू ते न डरै।।
नामदेव कबीरु तिलोचनु सधना सैनु तरै।
कहि रविदासु सुनहु रे संतहु हरिजीउ ते सभै सरै।।

Solution

शिल्प सौन्दर्य-
1. प्रभु की कृपालुता और भक्त वत्सलता को वाणी प्रदान की गई है।
2. प्रभु दयालु है और असहायों पर कृपा करता है। पद की भाषा ब्रज है। अवधी व राजस्थानी मिश्रित भाषा का प्रयोग किया गया है।
3. भाषा सरस, सरल व रोचक है।
4. भाषा में लयात्मकता है।
5. पद की शैली भावात्मक है।
6. संत कवियों के नामों का उल्लेख सराहनीय है।
7. अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है।

Some More Questions From अब कैसे छूटै राम नाम - रैदास Chapter

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
दूसरे पद की ‘जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
‘रैदास’ ने अपने स्वामी को किन-किन नामों से पुकारा हैं?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए-
मोरा, चंद, बाती, जोति, बरै, राती, छत्रु, धरै, छोति. तुहीं, गुसईआ।

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जाकी अँग-अँग बास समानी

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जैसे चितवत चंद चकोरा

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जाकी जोति बरै दिन राती

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै

रैदास के इन पदों का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।

रैदास की भक्ति दास्य भाव की है-सिद्ध कीजिए।