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अब कैसे छूटै राम नाम - रैदास

Question
CBSEENHN9000673

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
दूसरे पद की ‘जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

Solution
इस पंक्ति का आशय है कि सांसारिक लोग नीच जाति में उत्पन्न होने वालों के प्रति स्पर्श दोष मानते हुए उन्हें अछूत मानते हैं, पर ईश्वर उन लोगों पर भी कृपा करते हैं। उनका उद्धार कर देते हैं क्योंकि उनकी दृष्टि में भक्त की भक्ति ही श्रेष्ठ है। उसका प्रेम ही सर्वोपरि है। इसलिए प्रभु को पतितपावन, भक्त-वत्सल, दीनानाथ कहा जाता है।

Some More Questions From अब कैसे छूटै राम नाम - रैदास Chapter

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
दूसरे पद में कवि ने ‘गरीब निवाजु’ किसे कहा है? स्पष्ट कीजिए।

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
दूसरे पद की ‘जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
‘रैदास’ ने अपने स्वामी को किन-किन नामों से पुकारा हैं?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए-
मोरा, चंद, बाती, जोति, बरै, राती, छत्रु, धरै, छोति. तुहीं, गुसईआ।

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जाकी अँग-अँग बास समानी

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जैसे चितवत चंद चकोरा

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जाकी जोति बरै दिन राती

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै

रैदास के इन पदों का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।