Question
नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जाकी अँग-अँग बास समानी
Solution
इस पंक्ति का भाव यह है कि भक्त स्वयं गुणों से रहित है। वह पानी के समान रंग-गंध रहित है लेकिन ईश्वर रूपी चंदन की समीपता पाकर धन्य हो जाता है। वह गुणों की प्राप्ति कर लेता है। जैसे पानी में घिसकर चंदन का रंग निखरता है उसी प्रकार भक्तों की भक्ति से प्रभु का महत्त्व बढ़ जाता है भक्त और भगवान इतने समीप आ जाते हैं कि भक्त के अंग-अंग में ईश्वर की सुगन्ध समा गई है। भक्त का रोम-रोम ईश्वर भक्ति से प्रसन्न है।



