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अब कैसे छूटै राम नाम - रैदास

Question
CBSEENHN9000693

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के जवाब दीजिये।
अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी।
प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग-अँग बास समानी।
प्रभु जी, तुम घन बन मोरा, जैसे चितवत चद चकोरा।
प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन सती।
प्रभु जी, तुम मोती हम धागा, जैसे सोनहिं मिलत सुहागा।
प्रभु जी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै रैदासा।।

भक्त और भगवान की किन-किन चीजों से तुलना की गई है। कौन-सा कथन असत्य है

  • चंद-चकोर
  • मोती-धागा
  • सोना-सुहागा
  • स्वामी-मालिक

Solution

D.

स्वामी-मालिक

Some More Questions From अब कैसे छूटै राम नाम - रैदास Chapter

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
दूसरे पद में कवि ने ‘गरीब निवाजु’ किसे कहा है? स्पष्ट कीजिए।

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
दूसरे पद की ‘जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
‘रैदास’ ने अपने स्वामी को किन-किन नामों से पुकारा हैं?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए-
मोरा, चंद, बाती, जोति, बरै, राती, छत्रु, धरै, छोति. तुहीं, गुसईआ।

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जाकी अँग-अँग बास समानी

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जैसे चितवत चंद चकोरा

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जाकी जोति बरै दिन राती

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै

रैदास के इन पदों का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।