“अपने वेग में उल्का को लजाता हुआ वह आँखों से ओझल हो गया।”
उल्का क्या होती है? उल्का और ग्रहों में कौन-कौन सी समानताएँ और अंतर होते हैं?
अपने वेग में उल्का को लजाता हुआ वह आँखों से ओझल हो गया’- ये शब्द लेखक ने लोटे के लिए कहे हैं क्योंकि लोटा उल्का की गति से भी तीव्र गति से नीचे की ओर गिरा था।
उल्का-उल्काओं का निर्माण चट्टानों के छोटे-छोटे कणों से होता है। ये छोटी-बेटी आकृतियाँ मंगल और बृहस्पति ग्रह के मध्य घूमती हैं। ये घूमते-घूमते कई बार पृथ्वी के वायुमंडल में प्रविष्ट हो जाती हैं और घर्षण से जल कर राख हो जाती हैं। उनके जलने पर एक विशेष प्रकार की चमक उत्पन्न होती है। लोग इसे टूटता तारा समझते हैं।
ग्रहों और उल्काओं में समानताएँ-
1. दोनों सूर्य के इर्द-गिर्द चक्कर लगाते हैं।
2. दोनों में चट्टानों के कणों का मिश्रण पाया जाता है।
असमानताएँ-
1. ग्रह अपनी धुरी पर घूमते हैं जबकि उल्काओं की कोई निश्चित धुरी नहीं होती।
2. ग्रह सूर्य कै इर्द-गिर्द शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण की वज़ह से घूमते हैं जबकि उल्काओं का सूर्य के प्रति गुरुत्वाकर्षण बहुत कम होता है।
3. ग्रहों का आकार बड़ा होता है जबकि उल्काओं का बहुत छोटा।