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सुदामा चरित
कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।
विपति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत।।
इस दोहे में रहीम ने सच्चे मित्र की पहचान बताई है। इस दोहे से सुदामा चरित की समानता किस प्रकार दिखती है? लिखिए।
इस दोहे में रहीम जी का कहना है कि जब मनुष्य के पास धन-संपत्ति होती है ता बहुत से लोग उसके मित्र बन जाते हैं, लेकिन जो मुश्किल समय में साथ देते हैं वही सच्चे मित्र कहलाते हैं।
सुदामा चरित के अनुरूप यह दोहा पूर्णतया सही है क्योंकि कृष्ण व सुदामा बचपन के मित्र तो। थे लेकिन बड़ होकर कृष्ण द्वारिकाधीश बने और सुदामा गरीब के गरीब ही रहे। एक बार पत्नी के आग्रह करने पर कि आप अपने मित्र कृष्ण के पास जाओ वे अवश्य हमारी सहायता करेंगे। सुदामा जब कृष्ण के पास जाते हैं तो वे उसे सर- आँखों पर बिठाते हैं। उनका आदर सत्कार कर उनकी दीन दशा हेतु व्यथित हो उठते हैं। जब सुदामा वापिस घर जाते हैं तो मार्ग मैं सोचते हैं कि कृष्ण के पास आना व्यर्थ रहा। उन्होंने कुछ भी सहायता नहीं की। लेकिन जब अपने गाँव पहुँचते हैं ताे देखकर हैरान हो जाते हैं कि उनके राजसी ठाठ-बाट बन चुके हैं। मन-ही-मन कृष्ण के प्रति कृतज्ञ हो जाते हैं कि प्रत्यक्ष रूप से कुछ देकर उन्होंने मित्रता को छोटा नहीं किया।
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कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।
विपति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत।।
इस दोहे में रहीम ने सच्चे मित्र की पहचान बताई है। इस दोहे से सुदामा चरित की समानता किस प्रकार दिखती है? लिखिए।
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