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सुदामा चरित

Question
CBSEENHN8000850

‘मित्रता’ संबंधी दोहों का संकलन कीजिए।

Solution

मित्रता संबंधी दोहो/चौपाइयाँ
1. कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।
    विपति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत।।

2. जे न मित्र दुख होहिं दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी।
    निज दुख गिरि समरज जाना। मित्रक दुख रज मेरु समाना।।

Some More Questions From सुदामा चरित Chapter

सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए। 

“पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।” पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

“चोरी की बान में ही जू प्रवीने।” 
(क) उपर्युक्त पंक्ति कौन, किससे कह रहा है?
(ख) इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए।
(ग) इस उपालंभ (शिकायत) के पीछे कौन-सी पौराणिक कथा है?

द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा मार्ग में क्या-क्या सोचते जा रहे थे? वह कृष्ण के व्यवहार से क्यों खीझ रहे थे? सुदामा के मन की दुविधा को अपने शब्दों में प्रकट कीजिए। 

अपने गाँव लौटकर जब सुदामा अपनी झोंपड़ी नहीं खोज पाए तब उनके मन में क्या-क्या विचार आए? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

निर्धनता के बाद मिलनेवाली संपन्नता का चित्रण कविता की अंतिम पक्तियों में वर्णित है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।

द्रुपद और द्रोणाचार्य भी सहपाठी थे, इनकी मित्रता और शत्रुता की कथा महाभारत से खोजकर सुदामा के कथानक से तुलना कीजिए।

उच्च पद पर पहुँचकर या अधिक समृद्ध होकर व्यक्ति अपने निर्धन माता-पिता-भाई-बंधुओं से नजर फेरने लग जाता है, ऐसे लोगों के लिए सुदामा चरित कैसी चुनौती खड़ी करता है? लिखिए।

अनुमान कीजिए यदि आपका कोई अभिन्न मित्र आपसे बढ़त वर्षो बाद मिलने आए तो आप को कैसा अनुभव होगा?

कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।
विपति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत।।
इस दोहे में रहीम ने सच्चे मित्र की पहचान बताई है। इस दोहे से सुदामा चरित की समानता किस प्रकार दिखती है? लिखिए।