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सुदामा चरित
सुदामा जब अपने गाँव लौटकर अपनी झोपड़ी न खोज पाए तो उनके मन में यह विचार आया कि कहीं फिर से द्वारिका तो नहीं पहुँच गए। जब उन्हे अपना घर ढ़ुँढ़े न मिला तो उन्होंने लोगों से सुदामा पांडे का घर पूछना चाहा।
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कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।
विपति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत।।
इस दोहे में रहीम ने सच्चे मित्र की पहचान बताई है। इस दोहे से सुदामा चरित की समानता किस प्रकार दिखती है? लिखिए।
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