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कबीर की साखियाँ

Question
CBSEENHN8000774

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
आवत गारी एक है, उलटत होइ अनेक।
कह कबीर नहिं उलटिए, वही एक की एक।। 

गाली की संख्या एक कैसे रह सकती है?

  • जब गाली सुनने वाला मुस्कुराता रहे।
  • जब गाली सुनने वाला कोई उत्तर न दे अर्थात् पलट कर गाली न दे।
  • जब गाली सुनने वाला बुरा न माने।
  • जब गाली सुनने वाला कहने वाले की परवाह न करे।

Solution

B.

जब गाली सुनने वाला कोई उत्तर न दे अर्थात् पलट कर गाली न दे।

Some More Questions From कबीर की साखियाँ Chapter

“ या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।”
“ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय।”
इन दोनों पक्तियों में ‘आपा’ को छोड़ देने या खो देने की बात की गई है। ‘आपा’ किस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है? क्या ‘आपा’ स्वार्थ के निकट का अर्थ देता है या घमंड का?

आपके विचार में आपा और आत्मविश्वास में तथा आपा और उत्साह में क्या कोई अंतर हो सकता है? स्पष्ट करें।

सभी मनुष्य एक ही प्रकार से देखते-सुनते हैं पर एकसमान विचार नहीं रखते। सभी अपनी-अपनी मनोवृत्तियों के अनुसार कार्य करते हैं। पाठ में आई कबीर की किस साखी से उपर्युक्त पंक्तियों के भाव मिलते हैं, एकसमान होने के लिए आवश्यक क्या है? लिखिए।

कबीर के दोहों को साखी क्यों कहा जाता है? ज्ञात कीजिए।

बोलचाल की क्षेत्रीय विशेषताओं के कारण शब्दों के उच्चारण में परिवर्तन होता है जैसे वाणी शब्द बानी बन जाता है। मन से मनवा, मनुवा आदि हो जाता है। उच्चारण के परिवर्तन से वर्तनी भी बदल जाती हैं। नीचे कुछ शब्द दिए जा रहे हैं उनका वह रूप लिखिए जिससे आपका परिचय हो।
ग्यान, जीभि, पाऊँ. तलि, आँखि, बरी।

साधु की जाति क्यों नहीं पूछनी चाहिए?

क्या हमें पलटकर किसी को गाली देनी चाहिए? यदि नहीं तो क्यों?

कबीर ने अपनी साखी में भक्ति के मार्ग पर पाखंडों का विरोध क्यों और कैसे किया है?

कबीर के अनुसार समाज में कभी किसी को कमजोर क्यों नहीं समझना चाहिए?

कबीर की साखियाँ क्या संदेश देती हैं?