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कबीर की साखियाँ

Question
CBSEENHN8000760

कबीर के अनुसार समाज में कभी किसी को कमजोर क्यों नहीं समझना चाहिए?

Solution
कबीर के अनुसार समाज में रहने वाले सभी लोगों से समान व्यवहार करना चाहिए किसी को छोटा, बड़ा या कमजोर नहीं समझना चाहिए? क्योंकि यदि हम असमानता का भाव रखते हैं तो कई बार हमें मुँह की खानी पड़ती है। जैसे कवि मे अपनी साखी में स्पष्ट रूप से कहा है कि पैर के नीचे दबने वाली घास को भी कम नहीं समझना चाहिए क्योंकि यदि उसका तिनका भी उड़कर आँख में पड़ जाए तो बड़ा कष्टकारी होता है वैसे ही समाज में जिसे हम छोटा समझते हैं, यदि वह शक्ति पा जाए तो हमें दुख दे सकता है।

Some More Questions From कबीर की साखियाँ Chapter

तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं’-उक्त उदाहरण से कबीर क्या कहना चाहते हैं? स्पष्ट कीजिए।

पाठ की तीसरी साखी-जिसकी एक पंक्ति है ‘मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिर, यह तो सुमिरन नाहिं’ के द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं?

कबीर घास की निंदा करने से क्यों मना करते हैं। पढ़े हुए दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेनेवाले दोष होते हैं। यह भावार्थ किस दोहे से व्यक्त होता है?

“ या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।”
“ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय।”
इन दोनों पक्तियों में ‘आपा’ को छोड़ देने या खो देने की बात की गई है। ‘आपा’ किस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है? क्या ‘आपा’ स्वार्थ के निकट का अर्थ देता है या घमंड का?

आपके विचार में आपा और आत्मविश्वास में तथा आपा और उत्साह में क्या कोई अंतर हो सकता है? स्पष्ट करें।

सभी मनुष्य एक ही प्रकार से देखते-सुनते हैं पर एकसमान विचार नहीं रखते। सभी अपनी-अपनी मनोवृत्तियों के अनुसार कार्य करते हैं। पाठ में आई कबीर की किस साखी से उपर्युक्त पंक्तियों के भाव मिलते हैं, एकसमान होने के लिए आवश्यक क्या है? लिखिए।

कबीर के दोहों को साखी क्यों कहा जाता है? ज्ञात कीजिए।

बोलचाल की क्षेत्रीय विशेषताओं के कारण शब्दों के उच्चारण में परिवर्तन होता है जैसे वाणी शब्द बानी बन जाता है। मन से मनवा, मनुवा आदि हो जाता है। उच्चारण के परिवर्तन से वर्तनी भी बदल जाती हैं। नीचे कुछ शब्द दिए जा रहे हैं उनका वह रूप लिखिए जिससे आपका परिचय हो।
ग्यान, जीभि, पाऊँ. तलि, आँखि, बरी।

साधु की जाति क्यों नहीं पूछनी चाहिए?