कबीर की साखियाँ

Question
CBSEENHN8000755

कबीर के दोहों को साखी क्यों कहा जाता है? ज्ञात कीजिए।

Solution
कबीर के दोहों को साखी कहा जाता है क्योंकि ‘साखी’ शब्द का एक अर्थ है ‘प्रत्यक्ष रूप से ‘अर्थात् उन्हींने समाज में जैसा देखा वैसा ही कहा। वे समाज में फैली कुरीतियों, जातीय भावनाओं और बाह्य आडंबरों को समाप्त करना चाहते थे इसीलिए अपने दोहों मे भी कबीर ने यही सीख देनी चाही है कि हमें साधु के ज्ञान को प्राप्त करना चाहिए, उनके जातीय स्वरूप को जानने की इच्छा नहीं रखनी चाहिए। यदि कोई अपशब्द कहे तो मौन रहना चाहिए क्यौंकि हमारे द्वार भी अपशब्द कहे जाने पर उनकी संख्या बढ़ेगी। ईश्वर प्राप्ति हेतु एकाग्रचित्त होकर भक्ति करनी चाहिए। किसी को निर्बल नहीं समझना चाहिए एव हमें अपने स्वभाव को निर्मल और शांत बनाना चाहिए।

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सभी मनुष्य एक ही प्रकार से देखते-सुनते हैं पर एकसमान विचार नहीं रखते। सभी अपनी-अपनी मनोवृत्तियों के अनुसार कार्य करते हैं। पाठ में आई कबीर की किस साखी से उपर्युक्त पंक्तियों के भाव मिलते हैं, एकसमान होने के लिए आवश्यक क्या है? लिखिए।

कबीर के दोहों को साखी क्यों कहा जाता है? ज्ञात कीजिए।

बोलचाल की क्षेत्रीय विशेषताओं के कारण शब्दों के उच्चारण में परिवर्तन होता है जैसे वाणी शब्द बानी बन जाता है। मन से मनवा, मनुवा आदि हो जाता है। उच्चारण के परिवर्तन से वर्तनी भी बदल जाती हैं। नीचे कुछ शब्द दिए जा रहे हैं उनका वह रूप लिखिए जिससे आपका परिचय हो।
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